कृषि कानून वापस: राहुल गांधी बोले- नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी
नई दिल्ली, 29 नवंबर: किसानों के लंबे चल रहे आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था, जिसके तहत आज (सोमवार) को शीतकालीन सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने के बिल पारित किया। संसद में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पारित कर दिया गया है। वहीं अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन की कार्यवाही के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने कहा कि आज इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिना चर्चा के कृषि कानूनों को वापस लिया गया। यह सरकार चर्चा करने से डरती है।
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'ये किसानों की सफलता है'
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कृषि कानून वापस लेने पर केंद्र सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया। अपने बयान में राहुल ने कहा, 'हमने कहा था कि तीनों काले कानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिन्दुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती और वही हुआ काले कानूनों को रद्द करना पड़ा। ये किसानों की सफलता है, देश की सफलता है।
'नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी'
राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानूनों को किसानों और मजदूरों पर आक्रमण बताया। राहुल ने अपने बयान में कहा कि ये तीनों कानून किसानों और मजदूरों पर आक्रमण था। लेकिन किसानों और मजदूरों की कठिनाइयां MSP, कर्ज माफी जैसी लंबी लिस्ट है। वे अभी भी उनकी मांगें हैं, हम उनका समर्थन करते हैं। वहीं पीएम मोदी पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 'आपने कहा प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, इसका मतलब प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी गलती की वजह से 700 किसान मारे गए, उनकी गलती से आंदोलन हुआ। अगर उन्होंने गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी।'
कृषि कानून वापसी बिल भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पास हुआ
'सरकार चर्चा से डरती है'
वहीं दोनों सदनों में बिना चर्चा के बिल पास करने पर राहुल गांधी ने कहा कि 'जिस तरह से संसद में बिना किसी चर्चा के कानून रद्द किए गए, ये दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। सरकार जानती है कि उन्होंने गलत काम किया है। 700 किसानों की मृत्यु, कानूनों को लागू करने के पीछे किसकी शक्ति थी। इस पर चर्चा होनी थी पर सरकार ने नहीं होने दी।