तीन तलाक बिल के कुछ प्रावधान का कांग्रेस राज्यसभा में कर सकती है विरोध
नई दिल्ली। तीन तलाक के खिलाफ बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया है और अब यह बिल राज्यसभा में पहुंच चुका है। हालांकि इस बिल का कांग्रेस ने समर्थन करने का ऐलान किया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसके कुछ प्रावधान का कांग्रेस विरोध कर सकती है। जिसमे से सबसे अहम है तीन तलाक देने के आरोपी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज करना। कांग्रेस इस बात की मांग कर सकती है कि इस अपराध को गैरजमानती अपराध की श्रेणी से हटाया जाए।
क्या करेगी विरोध
तीन तलाक बिल में एक साथ तीन तलाक कहकर तलाक देने वाले के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का प्रावधान है और इसके तहत दोषी को तीन साल की सजा का भी प्रावधान है। सूत्रों की मानें तो इस बिल का समर्थन करने वाली कांग्रेस अब अपने स्टैंड में बदलाव कर सकती है और इस बिल से इस नियम को हटाने की मांगं कर सकती है कि इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए। कांग्रेस इस बात की पक्षधर है कि अगर यह प्रावधान किया गया तो शौहर का हर हाल में जेल जाना तय है, लिहाजा इसका असर उस महिला पर पड़ेगा जिसे अपने शौहर से मुआवजा मिलना है।
पार्टी की छवि को लेकर राहुल सचेत
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस का यह तर्क है कि अगर शौहर जेल चला जाता है तो दोनों के बीच सुलह की संभावनाएं खत्म हो जाएगी, लिहाजा इस कानून का दुष्प्रभाव भी पड़ सकता है। ऐसे में इस बिल के कुछ प्रावधान को हटाना चाहिए और इसके बाद कांग्रेस इस बिल का राज्यसभा में समर्थन कर सकती है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस कानून के चलते पार्टी की छवि को लेकर काफी सचेत हैं और वह इस तरह का कतई संदेश लोगों के बीच नहीं जाने देना चाहते हैं कि वह इस बिल के खिलाफ हैं और इस बिल के पास होने में रोड़ा अटका रहे हैं।
फिर से नहीं दोहराना चाहती है गलती
दरअसल राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तो शाह बानो के केस के चलते कांग्रेस पार्टी को काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा था, ऐसे में एक बार फिर से पार्टी उस गलती को दोहराना नहीं चाहती है। लिहाजा राज्यसभा में पार्टी काफी सतर्क होकर इस बिल के कुछ प्रावधानों का विरोध करेगी। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है, लिहाजा कांग्रेस का रुख काफी अहम रहने वाला है। अगर तमाम विपक्षी दल इस बिल के खिलाफ एकजुट होते हैं तो इस बिल को पास होने में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।
राज्यसभा में भाजपा के पास नहीं बहुमत
राज्य सभा में कांग्रेस का रुख सरकार के लिए बेहद अहम रहने वाला है, क्योंकि उच्च सदन में मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में अन्य विपक्षी दल बिल के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं। हालांकि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा बिल के समर्थन के पक्ष में है, लेकिन अन्य विपक्षी दलों के स्टैंड देखते हुए पार्टी का फैसला प्रभावित हो सकता है। अगर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी या लेफ्ट पार्टियां सरकार पर इस बिल को संसदीय समिति के पास भेजने का दबाव डालते हैं तो विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस उनके साथ आ सकती है।