कर्नाटक-गोवा की फूट देख डरी कांग्रेस, MP-राजस्थान में अलर्ट पर मुख्यमंत्री
नई दिल्ली। कर्नाटक से लेकर गोवा तक अपने विधायकों को तोड़े जाने की बीजेपी के प्रयासों को देखते हुए कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की अपनी सरकारों को अलर्ट किया है। दरअसल दोनों राज्यों में कांग्रेस छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से अपनी सरकारें चला रही है। क्योंकि उनकी जीत का अंतर दोनों ही राज्यों में काफी कम है। पार्टी ने महसूस किया है कि भाजपा का नेतृत्व मध्य प्रदेश में पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और दूसरे नेता विपक्षी दल की चाल ही नहीं अपने विधायकों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और दलबदल की घटनाओं को लेकर पहले से ही सतर्क हैं। अगर बात मध्य प्रदेश की करें तो कमलनाथ सरकार समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कुछ निर्दलीयों के समर्थन पर निर्भर है। वहीं, राजस्थान में कांग्रेस सरकार को करीब एक दर्जन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन पर चल रही है।
राजस्थान में निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन इस शर्त पर दिया था कि, अशोक गहलोत ही राज्य के मुख्यमंत्री बनें। हालांकि कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप अब तक अपनी पार्टी को एकजुट रखने में सफल रही है। लेकिन हाल ही में कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस के विधायकों की तोड़ को देखते हुए इन दोनों राज्यों का शीर्ष नेतृत्व अलर्ट हो गया है। कांग्रेस ने यह समझ लिया है कि कर्नाटक और गोवा दोनों राज्यों में उसके विधायकों को जिस अंदाज में तोड़ा जा रहा है, वह पुराने ऑपरेशन लोटस में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों से बहुत आगे की चीज है।
कांग्रेस का मानना है कि, नई बीजेपी सत्ता को हासिल करने के लिए गैर-परंपरागत राजनीतिक हथकंडों का इस्तेमाल कर किसी भी हद तक जा सकती है। गोवा के ईसाई विधायकों में ज्यादातर अब बीजेपी के साथ हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे बीजेपी ने ईसाई विधायकों को लालच देकर अपने खेमें शामिल कर लिया। एमपी में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बहुमत का जादुई आंकड़ा 116 का है। कांग्रेस के पास सपा के 1, बीएसपी के 2 और 4 निर्दलीयों का समर्थन प्राप्त है।
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