गुलाम नबी आजाद ने उठाई कृषि कानूनों की वापसी की मांग, कहा- अंग्रेजों को भी किसानों के आगे झुकना पड़ा था
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक विधेयक लाना चाहिए और कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए।
नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक विधेयक लाना चाहिए और उन कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए जिनके खिलाफ किसानों का एक वर्ग लंबे समय से आंदोलन कर रहा है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोलते हुए, आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकमात्र व्यक्ति हैं जो जम्मू और कश्मीर और किसानों के आंदोलन दोनों समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।
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उन्होंने कहा, "जय जवान जय किसान का नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि यह पहले था। हमारे समाज के इन दो वर्गों के बिना हम अधूरे हैं।" उन्होंने उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जो देश की सेवा करने के लिए खराब मौसम में भी डटे रहते हैं। उन्होंने कहा, "मैं उन किसानों को भी श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने अपने अधिकार की लड़ाई लड़ते हुए बीते कुछ दिनों में अपनी जान गंवा दी। उन्होंने आगे कहा, "किसानों और सरकार के बीच गतिरोध कोई नई बात नहीं है, यह सौ सालों से चला आ रहा है। सामंतवाद और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ और कभी-कभी सरकार के खिलाफ किसानों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।"
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दो
टूक-
'पहले
तथ्य
को
जांचे,
फिर
करें
बात'
उन्होंने
आजादी
से
पहले
के
भारत
में
हुए
आंदोलन
का
जिक्र
किया
जब
किसानों
ने
ब्रिटिश
सरकार
को
कानून
को
वापस
लेने
के
लिए
मजबूर
किया।
"मैं
ब्रिटिश
शासन
के
दौरान
किसानों
के
विरोध
के
बारे
में
पढ़
रहा
हूं,
जिसमें
सरकार
को
किसानों
के
आगे
झुकना
पड़ा
और
मैं
इस
नतीजे
पर
पहुंचा
कि
किसानों
की
ताकत
देश
की
सबसे
बड़ी
ताकत
है।
और
हम
उनके
साथ
लड़कर
किसी
निष्कर्ष
पर
नहीं
पहुँच
सकते।"
चंपारण
आंदोलन
और
भूमि
अधिकारों
के
लिए
कई
अन्य
आंदोलन
के
अलावा,
आजाद
ने
1988
की
रैली
का
भी
उल्लेख
किया
जब
महेंद्र
सिंह
टिकैत
ने
कांग्रेस
को
मजबूर
करने
के
लिए
बोट
क्लब
पर
कब्जा
कर
लिया
था।
जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक विधेयक लाने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए, आजाद ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले को समझने में विफल हैं। उन्होंने कहा की, "मैंने तत्कालीन गृहमंत्री और भाजपा सांसदों के कई भाषणों को सुना है, उन्होंने कभी भी यह मांग नहीं की कि जम्मू कश्मीर का विभाजन किया जाए। मैं समझ सकता हूं और मैं लेह के लिए यूटी की स्थिति का समर्थन करता हूं। सरकार ऐसा कर सकती थी, लेकिन राज्य को अछूता छोड़ देना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि सरकार का यह दावा बिल्कुल यह गलत है कि कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है और घाटी में आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई है। उन्होंने कहा, "वहां कानून व्यवस्था पहले कहीं ज्यादा बेहतर थी। जब राज्य सरकार थी, तब उग्रवाद अपने निम्नतम स्तर पर था और विकास कार्य बहुत अच्छे थे।" हालांकि, उन्होंने सरकार को जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव कराने के लिए बधाई दी।