
पीओके में आतंकी कैंप में रहते हुए कर्नल संग्राम सिंह भाटी ने की थी आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में शनिवार को कर्नल संग्राम सिंह भाटी का निधन हो गया। कर्नल भाटी के निधन की खबर सुनकर केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से लेकर उनके करीबी मित्र तक दुखी हैं। किसी को यकीन नहीं हो पा रहा कि कर्नल भाटी अब उनके बीच नहीं हैं। कर्नल भाटी को पीलिया हो गया था और उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जानिए कौन थे कर्नल भाटी और कैसे उन्होंने पीओके में घुसकर लश्कर के आतंकियों को मारा था।

कोवर्ट ऑपरेशंस के मास्टर
शनिवार को तड़के 3:30 मिनट पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। कर्नल भाटी शौर्य चक्र विजेता थे और अपने साहसिक मिशन की वजह से वह कई लोगों के आदर्श हैं। कर्नल संग्राम सिंह भाटी एक पैराट्रूपर थे और 10 पैरा के सीओ भी रह चुके थे, जिसे 'रेगिस्तान का मुस्तफा' भी कहा जाता है। पैराट्रूपर बनना आसान नहीं होता है अइौर 4500 सैनिकों में से कुछ खास का चयन किया जाता है। कर्नल भाटी वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तैनात थे। कर्नल भाटी के करीबी उन्हें कोवर्ट ऑपरेशंस का मास्टर मानते हैं।

चार दिन तक रहे आतंकी कैंप्स में
पांच वर्ष पहले यानी साल 2013 में कर्नल भाटी ने बहरुपिए के तौर पर चार दिनों तक लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के कैंप्स में रहे। उन्होंने खुद को एक ऐसे जेहादी के तौर पर प्रदर्शित किया जिसका ब्रेनवॉश किया जा चुका है। चार दिन आतंकी कैंप में रहने के बाद उन्होंने अपने एक साथी ऑफिसर के साथ खास ऑपरेशन को अंजाम दिया और लश्कर के चार आतंकियों का खात्मा किया। इस ऑपरेशन की वजह से सेना को भी लश्कर का बड़ा नेटवर्क तोड़ने में मदद मिली थी।

ओटीए में थे इंस्ट्रक्टर
कर्नल संग्राम सिंह को स्पेशल फोर्सेज का उच्त स्तर का कमांडो माना जाता था। वह कुछ समय तक चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में भी बतौर इंस्ट्रक्टर तैनात रहे थे। कर्नल भाटी के निधन पर केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'कर्नल भाटी के निधन से वह काफी दुखी हैं। वह एक बहादुर सैनिक और उनके दोस्त थे। उनका अदम्य साहस हमेशा स्पेशल फोर्सेज और सेना में एक इतिहास बनकर रहेगा। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।'