Citizenship Amendment Act: पीएम मोदी ने कहा- कानून को लागू करने का फैसला 1,000 प्रतिशत सही
नई
दिल्ली।
नागरिकता
संशोधन
कानून
(सीएए)
पर
देश
के
हर
हिस्से
में
बवाल
मचा
हुआ
है।
वहीं
इस
कानून
पर
मचे
हंगामे
के
बीच
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
चुनावी
रैली
में
अपनी
प्रतिक्रिया
दी
है।
पीएम
मोदी
रविवार
को
झारखंड
के
दुमका
में
एक
रैली
को
संबोधित
कर
रहे
थे।
यहां
पर
पीएम
मोदी
ने
कहा
कि
नागरिकता
संशोधन
कानून
को
लागू
करने
का
फैसला
'1,000
प्रतिशत'
सही
था।
पीएम
मोदी
ने
इस
तरफ
भी
इशारा
किया
कि
विदेशों
में
भारतीय
दूतावासों
पर
विरोध
प्रदर्शनों
की
एक
साजिश
इंडिया
ओवरसीज
कांग्रेस
की
तरफ
से
रची
गई
है।
दूतावासों के बाहर प्रदर्शन की साजिश
पीएम मोदी ने कहा, 'जब आर्टिकल 370 हटाया गया था तो विदेशों में मौजूद पाकिस्तानी और पाक समर्थकों की तरफ से भारतीय दूतावासों पर प्रदर्शन किए गए थे। अब कांग्रेस की तरफ से भी इसी तरह की साजिश की गई है।' उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन उनका विरोध प्रदर्शन देखने के बाद, मैं इस बात को दावे के साथ कह सकता हूं कि संसद की तरफ से नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को पास करने का जो फैसला लिया गया वह 1,000 प्रतिशत सही था।'
'नॉर्थ ईस्ट में हिंसा के लिए कांग्रेस दोषी'
पीएम मोदी ने नॉर्थ-ईस्ट में हिंसा के लिए कांग्रेस को दोष दिया। पीएम मोदी ने कहा कि देश की संसद ने एक नागरिकता से जुड़े एक अहम बिल को बहुमत के साथ पास किया है। लेकिन कांग्रेस और उनके साथी परेशानी पैदा कर रहे हैं। उनका कहना था कि ये लोग अब कुछ भी करने में असमर्थ हैं तो आग को हवा देने में लगे हैं। जब से कैब पास हुआ है तब से नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों विशेषकर असम में बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है।
असम के लोगों की तारीफ
पीएम मोदी ने लेकिन असम के लोगों की तारीफ की और कहा कि राज्य के लोगों ने खुद को हिंसा और हिंसा फैलाने वाले लोगों से दूर रखा है। पीएम मोदी के शब्दों में, 'मैं अपना सिर असम और नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के सामने झुकाता हूं। उन्होंने खुद को उन लोगों से दूर रखा है जो हिंसा की आग भड़का रहे हैं। असम के लोग शांतिपूर्ण तरीके से अपना मत रख रहे हैं।' इस कानून के तहत भारत के तीन मुसलमान आबादी वाले देशों, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुसलमान शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
कुछ हिस्सों में नहीं लागू होगा कानून
कानून के तहत हिंदूओं, सिखों, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के ऐसे लोग जिन्हें धर्म की वजह से मुश्किलें झेलने को मजबूर होना पड़ता है उन्हें नागरिकता मिलेगी। इस कानून के तहत अब भारत में छह साल तक भारत में रहने वाले शरणार्थी को कानूनी तौर पर नागरिकता मिल सकेगी। यह कानून त्रिपुरा, मिजोरम, असम और मेघालय के कबायली इलाकों में लागू नहीं होता है क्योंकि ये हिस्से संविधान की छठीं सूची में शामिल हैं।