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भारत ने कर दिया ये बड़ा कारनामा , मून की सतह पर खोजा पानी और हाइड्रॉक्सिल

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नई दिल्ली, अगस्त 11: चंद्रयान -2 मिशन चंद्रमा पर पहुंचने से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसके चलते नासा के कई प्रोजेक्ट अधूरे रह गए थे। लेकिन चंद्रयान अपने ऑर्बिटर को लॉन्च करने में सफल रहा था। अब ऑर्बिटर नई खोजों की ओर अग्रसर है जो वर्तमान में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। ऑर्बिटर ने हाल ही पता लगाया था कि, मून की सतह पर हाइड्रॉक्सिल और पानी के अणुओं का पता चला है।

चंद्रयान -2 के इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से पता चला

चंद्रयान -2 के इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से पता चला

शोधकर्ताओं ने चंद्रयान -2 ऑर्बिटर के इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर(आईआईआरएस) द्वारा प्राप्त डेटा का उपयोग किया। ये एक उपकरण है जो उपग्रह की खनिज संरचना को समझने के लिए चंद्रमा के विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम से जानकारी एकत्र करता है। उन्होंने हाइड्रेशन के लिए चंद्रयान -2 आईआईआरएस सेंसर पर तीन स्ट्रिप्स से डेटा का विश्लेषण किया, जिसके कारण OH (हाइड्रॉक्सिल) और H2O (पानी) निशानों का स्पष्ट पता चला है।

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मून के इस हिस्से में मिले पानी के अवशेष

मून के इस हिस्से में मिले पानी के अवशेष

करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के निष्कर्षों में कहा गया है कि जलयोजन अवशेष सभी अक्षांशों और सतह के प्रकारों में अलग-अलग डिग्री में मिले हैं। आईआईआरएस से प्रारंभिक डेटा विश्लेषण के मुताबिक चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति 29 डिग्री उत्तर और 62 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच मिली है। आंकड़ों में यह भी देखा गया कि चंद्रमा के उच्च अक्षांशों पर तेज धूप वाले उच्चभूमि क्षेत्रों में उच्च हाइड्रॉक्सिल या संभवतः पानी के अणु पाए गए हैं।

 चंद्रमा पर हाइड्रॉक्सिल और पानी का निर्माण अंतरिक्ष अपक्षय के कारण होता है

चंद्रमा पर हाइड्रॉक्सिल और पानी का निर्माण अंतरिक्ष अपक्षय के कारण होता है

देहरादून में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर हाइड्रॉक्सिल और पानी का निर्माण अंतरिक्ष अपक्षय के कारण होता है, जो चंद्र सतह के साथ सौर हवाओं के संपर्क की एक प्रक्रिया है। यह प्रभाव संयुक्त रूप से रासायनिक परिवर्तनों की ओर ले जाता है जो आगे प्रतिक्रियाशील हाइड्रॉक्सिल अणुओं के निर्माण को ट्रिगर करता है। इन जलयोजन विशेषताओं की स्थिरता इस बात पर निर्भर करती है कि वे एक विशेष तापमान सीमा पर सतह और उनके पर्यावरण के साथ एक दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं।

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चांद की सतह से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था लैंडर

चांद की सतह से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था लैंडर

चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था और 6 सितंबर को चांद की मिट्टी का विश्लेषण करने के लिए उपकरणों के साथ 27 किलोग्राम रोवर ले जाने वाला लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह लैंडर कुछ तकनीकी खामी के कारण अपने रास्ते से भटक गया था। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, मिशन पूरी तरह से विफल नहीं है, क्योंकि ऑर्बिटर ने अनुमान के अनुसार नेविगेट किया है और लैंडर अंतिम चरण को छोड़कर सभी तीन चरणों से गुजरा है।

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English summary
Chandrayaan 2 orbiters confirmed the presence of hydroxyl and water molecules on the Moon
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