सभी कोरोना से होने वाली मौतों को कोविड-19 प्रमाणित किया जाएगा, दोषी डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई: SC से केंद्र
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किए एक हलफनामे में कहा है कि सभी कोरोनो वायरस मौतें, चाहे वे कहीं भी हुई हो, को कोविड की मौत के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।
नई दिल्ली, 20 जून। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किए एक हलफनामे में कहा है कि सभी कोरोनो वायरस मौतें, चाहे वे कहीं भी हुई हो, को कोविड की मौत के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। बता दें कि कोरोना से हुई मौतों के मामले में मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कम से कम 6 राज्यों में मृत्यु के आंकड़ों में भारी विसंगति हुई है। मीडिया में आईं खबरों के बाद सरकार ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में शनिवार की देर रात 183 पन्नों का हलफनामा दर्ज कराते हुए कोर्ट को भरोसा दिलाया कि जिन डॉक्टरों ने नियमों का उल्लंघन किया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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अस्पताल में होने वाली मौतों को ही गिना गया
बता दें कि अब तक केवल अस्पतालों में हुई कोरोना वायरस रोगियों की मौतों को ही कोविड के रूप में प्रमाणित किया गया था। अस्पताल से इतर चाहे व्यक्ति की मौत घर पर हुई हो या अस्पताल की पार्किंग में, ऐसी मौतों को कोरोना से हुई मौतों के रूप में प्रमाणित नहीं किया गया, जबकि ऐसे लोगों की संख्या लाखों में है जिन्होंने अस्पताल के बताय अपने घर या अस्पताल जाते समय कोरोना से दम तोड़ दिया।
मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और दिल्ली में इस वर्ष और पिछले वर्ष के मृत्यु के आंकड़ों में विसंगति देखी गई है। आंकड़ों में सामने आया है कि अकेले इन पांच राज्यों में 4.8 मौतें ऐसी हुई हैं जिनकी मौतों का कारण अस्पष्ट है।
बिहार में 75 हजार लोगों की मौत का कारण पता नहीं
कल बिहार सरकार ने एक आंकड़ा जारी किया जिसके मुताबिक इस साल के शुरुआती पांच महीनों में 75,000 ऐसे लोगों की मौत हुई जिनकी मौत के कारण का ही पता नहीं है। यह बिहार सरकार द्वारा राज्य में कोरोना से हुईं मौतों के आधिकारिक आंकड़े से 10 गुना ज्यादा है।
नहीं मिलेगा 4 लाख का मुआवजा
केंद्र सरकार ने एक हलफनामें में नए नियमों की घोषणा की जिसमें कहा गया है कि कोरोना से हुई मौतों के लिए 4 लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इससे राज्य सरकारों पर एक असहनीय वित्तीय बोझ पड़ेगा। राज्य सरकारें कोरोना के कारण पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं।
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सरकार का यह फैसला उस याचिका के बाद आया जिसमें कहा गया था कि जिन परिवारों ने कोरोना के कारण अपने प्रियजनों को खोया, उन परिवारों को वहां की राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि पीड़ितों को दिये गए मृत्यु प्रमाण पत्र में इस बात को नहीं लिखा गया था कि व्यक्ति की मौत कोरोना से हुई है।
इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा, 'मृत्यु प्रमाम पत्र में मौत का कारण फेफड़ों की बीमारी और दिल की बीमारी बताया गया। पीड़ित परिवारों को इधर से उधर भागना पड़ा। क्या कोरोना पीड़ितों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की कोई समान नीति है? या कोई दिशानिर्देश हैं?'
कई राज्यों से कोरोना से हुई मौतें के मामले में विसंगतियों की रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्र ने कोरोना से हुई मौतों को प्रमाणित करने का निर्णय लिया है।
केंद्र के निर्देश पर सभी राज्यों ने अपने यहां मौतों की जांच शुरू कर दी है। महाराष्ट्र भी अपने यहां कोरोना से हुई मौतों की संख्या में संशोधन कर रहा है। नए संशोधन के बाद मात्र 12 दिनों में कोरोना से हुई मौतों की संख्या 8,800 की वृद्धि हो गई है।
मौतों के सही आंकड़े को छुपाने के प्रयासों पर तीखी टिप्पणी करते हुए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने साल 1975 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा मौतों के मामले में गोपनीयता किसी भी तरह से जनता के हित में नहीं है। इस तरह की गोपनीयता शायद ही कभी वैध रूप से वांछित हो सकती है। गौरतलब है कि भारत में कोरोना से अभी तक 3.85 लाख मौतों का आंकड़ा दर्ज हुआ है।