Central Vista Project:दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्माण टालने पर फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली, 17 मई: दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को टालने रखने वाली याचिका पर फैसला सोमवार को सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने या निलंबित रखने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली। इस मामले में अदालत के सामने याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और शापूरजी पलोनजी ग्रुप की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह पेश हुए।
'मौत
का
केंद्रीय
किला'
सेंट्रल
विस्टा
प्रोजेक्ट
पर
चल
रहे
सभी
निर्माण
कार्यों
पर
रोक
लगाने
की
मांग
वाली
याचिका
की
पैरवी
करते
हुए
सिद्धार्थ
लूथरा
ने
कहा
इस
प्रोजेक्ट
को
अब
'मौत
का
केंद्रीय
किला'
कहा
जाना
चाहिए।
लेकिन,
केंद्र
सरकार
की
ओर
से
पेश
हुए
सॉरिसिटर
जनरल
तुषार
मेहता
ने
याचिका
का
पूरजोर
विरोध
किया
और
कहा
कि
वह
तथ्यों
के
आधार
पर
दलील
देंगे।
उन्होंने
इस
पीआईएल
का
यह
कहते
हुए
कड़ा
विरोध
किया
कि
इसके
जरिए
किसी
चीज
को
छिपाने
के
लिए
किसी
न
किसी
बहाने
से
इसे
रोकने
की
कोशिश
हो
रही
है,
जिसके
चलते
वह
इसका
सख्त
विरोध
करते
हैं।
कोविड
की
वजह
से
निर्माण
रोकने
की
मांग
जबकि,
याचिकाकर्ता
के
वकील
ने
दलील
दी
कि
जीवन
और
स्वास्थ्य
का
अधिकार
सबसे
महत्वपूर्ण
है,
इसलिए
कोविड-19
के
मामलों
को
बढ़ने
की
वजह
से
इस
प्रोजेक्ट
को
रोका
जा
सकता
है।
उनका
कहना
था
कि
सरकार
यह
बताने
में
नाकाम
रही
है
कि
सेंट्रल
विस्टा
प्रोजेक्ट
में
आखिर
ऐसा
क्या
है
कि
महामारी
के
दौरान
भी
इसे
'आवश्यक
सेवा'
कहा
जा
रहा
है।
उनका
कहना
था
कि
करीब
400
वर्करों
को
सराय
काले
खां
से
बसों
में
निर्माण
स्थल
तक
लाया
जाता
है।
इनके
अलावा
गार्ड
और
सिक्योरिटी
वाले
अलग
हैं।
उनका
दावा
था
कि
ऐसा
कोई
दस्तावेज
नहीं
है,
जिससे
पता
चले
कि
साइट
पर
कोविड
से
जुड़ी
सुविधाएं
मौजूद
हैं।
अदालत
ने
फैसला
सुरक्षित
रखा
जबकि,
इसके
जवाब
में
केंद्र
की
ओर
से
दायर
हलफनामे
में
कहा
गया
है
कि
कोविड-19
से
जारी
सारी
सुविधाएं
साइट
पर
ही
उपलब्ध
हैं,
जिसमें
वर्करों
के
रहने,
टेस्टिंग,
आइसोलेशन
और
मेडिकल
से
जुड़ी
सुविधाएं
भी
शामिल
हैं।
इसमें
याचिका
को
कानूनी
प्रक्रिया
के
साथ
खिलवाड़
बताते
हुए
उसे
हर
हाल
में
खारिज
करने
की
मांग
की
गई
है।
सभी
पक्षों
की
दलील
सुनने
के
बाद
अदालत
ने
फैसला
सुरक्षित
रख
लिया
है।
गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नया आवास, भारत सरकार के नए कार्यालय भवन, मंत्रालयों और केंद्रीय सचिवाल का निर्माण होना है।