पोस्ट कोविड लक्षण वाले मरीजों के लिए केंद्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन, डॉक्टरों को उपचार में मिलेगी मदद
नई दिल्ली, सितंबर 23। कोरोना महामारी से ठीक होने वाले मरीजों के अंदर पोस्ट कोविड के लक्षण एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। डॉक्टरों के लिए इन मरीजों का उपचार करना चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा था। ऐसे में केंद्र सरकार ने गुरुवार को पोस्ट-कोविड लक्षणों वाले मरीजों के उपचार को लेकर एक गाइडलाइंस जारी की हैं। इससे मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर दी जानकारी
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने एक ट्वीट कर बताया है, "लंबी अवधि तक जारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर मार्गदर्शन देने के लिए पोस्ट-कोविड प्रबंधन पर राष्ट्रीय व्यापक गाइडलाइन जारी की गई है। इससे स्वास्थ्यकर्मियों को पोस्ट-कोविड स्वास्थ्य जटिलताओं के लिए अग्रिम रूप से तैयारी करने और मरीजों को उपयुक्त उपचार देने में मदद मिलेगी।"
- स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि ये गाइडलाइन भारत में जारी 7 मॉड्यूल की पहली ऐसी सीरीज होगी, मेडिकल सेक्टर के लिए व्यापक दिशानिर्देश प्रदान करेगी। इसमें मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक मॉड्यूल शामिल है, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है।
'पोस्ट कोविड के लक्षणों को कम करने के लिए सही उपचार जरूरी'
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इन दिशा निर्देशों पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ये कोविड के दीर्घकालिक प्रभावों के मुद्दे से निपटने के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम दुष्प्रभाव सुनिश्चित करने और उपचार के नकारात्मक प्रभावों को सुनिश्चित करने के लिए कोविड के सक्रिय और व्यापक उपचार की आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमने म्यूकोर्मिकोसिस के मामलों जैसे स्टेरॉयड की उच्च खुराक लेने के कारण रोगियों में पोस्ट-कोविड प्रभाव के परिणाम देखे हैं।
थकान और कमजोरी पोस्ट कोविड का सामान्य लक्षण
आपको बता दें कि कोरोना से रिकवर हुए मरीजों में अगले कुछ हफ्तों तक या फिर अगले कुछ महीनों तक कई तरह की समस्याएं बनी रहती हैं। इनमें कमजोरी और थकान लगना तो बहुत आम समस्या है। इसके अलावा भी कोरोना से रिकवर मरीजों में सांस लेनी में तकलीफ जैसे समस्याएं देखी गई हैं, जिसकी वजह से लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। बच्चों के अंदर भी ये समस्याएं देखी गई हैं। केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, तो पिछले 5 महीने में राज्य के अंदर 4 बच्चों की मौत भी हुई है।