CBSE: दिव्यांग कैटेगरी में टॉपर अनुष्का के इलाज के लिए चाहिए 5 करोड़ रुपये, पीएम मोदी से भी मांग चुकी हैं मदद
सीबीएसई ने 29 मई को 10वीं बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित किया। जहां पूरे देश में चार छात्रों ने 499 अंक लाकर टॉप किया, वहीं दिव्यांग कैटेगरी में भी टॉप रैंक दो छात्रों ने हासिल की।
गुरुग्राम। सीबीएसई ने 29 मई को 10वीं बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित किया। जहां पूरे देश में चार छात्रों ने 499 अंक लाकर टॉप किया, वहीं दिव्यांग कैटेगरी में भी टॉप रैंक दो छात्रों ने हासिल की। गुरुग्राम की अनुष्का पांडा और गाजियाबाद की सान्या गांधी ने 500 में से 489 अंकों के साथ दिव्यांग कैटेगरी में टॉप किया है। बचपन से इस बीमारी को जूझ रही अनुष्का ने इतनी सी कम उम्र में ही जीवन में काफी कुछ झेला है। दिव्यांग होने के कारण बचपन से ही उन्हें हैरेस होना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कोशिश जारी रखी।
बड़े होकर बनना चाहती हैं कंप्यूटर इंजीनियर
दिव्यांग कैटेगरी में टॉप करने वाली गुरुग्राम की अनुष्का पांडा ने कुल 489 अंक हासिल किए हैं। 97.8 प्रतिशत लाने वाली अनुष्का के अंग्रेजी में 95, इतिहास में 99, गणित में 99, साइंस में 98 और सामाजिक विज्ञान में 98 अंक हैं। अनुष्का अपने पुराने स्कूल सनसिटी में ही साइंस स्ट्रीम के लिए अप्लाई किया है। वो बड़े होकर कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहती हैं।
जिंदगी में झेली हैं कई परेशानी
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अनुष्का ने बताया कि दिव्यांग होने के कारण उन्हें काफी भेदभाव का शिकार होना पड़ा। उन्होंने कहा, 'मैंने काफी हैरेसमेंट झेला है, लेकिन फिर भी सफलता पाने के लिए मैंने अपना आत्मविश्वास ऊपर रखा, चाहे जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं।' अनुष्का ने बताया कि उन्हें सार्वजनिक और शिक्षा, दोनों जीवन में हैरेसमेंट झेलना पड़ा है। 15 साल की अनुष्का ने समाज से उनके विचार बदलने के लिए आग्रह किया, क्योंकि उनके अनुसार जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है।
इलाज केवल अमेरिका में संभव, खर्च 5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष
अनुष्का 10 माह की उम्र से ऐसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं, जिसका इलाज केवल अमेरिका में उपलब्ध है। ये इलाज इतना महंगा है कि साल भर का खर्च ही 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है। अपने इलाज के लिए अनुष्का ने 28 जुलाई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत भी लिखा था। इस सिलसिले में उन्होंने डायरेक्ट जनरल ऑफ ड्रग कंट्रोल को भी खत लिखकर दवाई भारत भेजने की विनती की थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें अभी तक इसका जवाब नहीं मिला है। उनके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाई भारत में नहीं मिलती।
87.7 प्रतिशत रहा 10वीं का रिजल्ट
10वीं का कुल रिजल्ट 87.7 प्रतिशत रहा है। 27,476 छात्रों ने 95 प्रतिशत और 1,31,493 छात्रों ने 90 प्रतिशत से ज्यादा स्कोर किया है। तिरुवनंतपुरम सबसे सफल शहर रहा है। इस शहर का पासिंग प्रतिशत 99.60 फीसदी रहा। इसके बाद 97.37 प्रतिशत के साथ चेन्नई दूसरे नंबर पर और 91.86 प्रतिशत के साथ अजमेर तीसरे नंबर पर है। हर बार की तरह जवाहरलाल नेहरू विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय के छात्रों का रिजल्ट काफी अच्छा रहा।