CBI v ममता: पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में रविवार को देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच जबरदस्त तनातनी देखने को मिली। चिटफंड मामले में जांच कर रहे कोलकाता पुलिस कमिश्ननर राजीव कुमार के आवास पर पहुंची सीबीआई की टीम को हिरासत ले लिया गया और दो घंटे तक चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद पांच अधिकारियों को रिहा कर दिया। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार शाम को ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के बीच तनातनी के बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि राज्य एक 'संवैधानिक संकट' से गुजर रहा है, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खड़ा किया है। उन्होंने ममता पर 'भ्रष्ट और दागी' लोगों को ढालने का आरोप लगाया है। सुप्रियो ने ट्वीट कर कहा, 'पश्चिम बंगाल पर एक भ्रष्ट सीएम ममता बनर्जी के तहत इस 'दुष्ट' सरकार को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। यह ममता द्वारा उनके भ्रष्ट और दागी साथियों को ढालने के लिए एक संवैधानिक संकट है।'
रविवार की शाम केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार कोलकाता में एक दूसरे के खिलाफ हो गए। ममता बनर्जी ने सीबीआई के खिलाफ धरने पर बैठने का फैसला किया तो हाईवोल्टेज ड्रामे ने सभी को हैरानी में डाल दिया। चिटफंड घोटाले के मामले में जांच कर रहे कोलकाता पुलिस कमिश्नर के घर पर सीबीआई ने रविवार शाम अपनी एक टीम को भेजी थी, जिसे स्थानीय पुलिस ने हिरासत में लिया।
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता मुकुल रॉय ने भी इस स्थिति को 'संवैधानिक संकट' करार दिया है। राज्य के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है और ममता बनर्जी के शासन को 'तानाशाही' करार दिया है।
इस बीच अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव ने रविवार को कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार पर चिट फंड मामलों में सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'उनके (राजीव कुमार) खिलाफ सबूत हैं, उन्होंने इस सबूत को नष्ट करने और न्याय में बाधा डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।'