लालू की जमानत याचिका का CBI ने किया विरोध, 27 नवंबर को है सुनवाई
पटना। दुमका कोषागार से संबंधित चारा घोटाले में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। दरअसल, 27 सितंबर को लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है, लेकिन उससे पहले ही सीबीआई ने इस याचिका का विरोध किया है। सीबीआई का कहना है कि लालू प्रसाद यादव ने दुमका कोषागार से गबन के मामले में अभी तक एक भी दिन की सजा नहीं काटी है, इसलिए उन्हें इस मामले में जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता।
CBI ने हलफनामे में कही ये बात
सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि दुमका कोषागार से 3 करोड़ रुपए के गबन के मामले में लालू प्रसाद यादव को जो सजा मिली है, उसमें से अभी एक भी दिन की सजा उन्होंने नहीं काटी है, इसलिए उन्हें जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव को दो अलग-अलग धाराओं के तहत इस मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई थी।
CBI ने दिया धारा 427 का हवाला
सीबीआई ने अपने हलफनामे में सीआरपीसी की धारा 427 का हवाला देते हुए कहा है कि लालू यादव को अब तक चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में सजा सुनाई गई है, जिसमें से दुमका मामले में उन्हें 14 साल की सजा सुनाई गई है और कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं भी ये नहीं कहा था कि लालू को दुमका मामले में मिली सजा उन्हें चारा घोटाले के अन्य मामलों में मिली सजा के साथ ही चलेगी। आपको बता दें कि CRPC की धारा 427 के तहत अभियुक्त को दी गई सजा क्रमवार रूप में चलती हैं।
लालू के जेल से बाहर आने के लिए ये जमानत जरूरी
आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के दुमका कोषागार गबन के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने मार्च 2018 में सजा सुनाई थी। लालू प्रसाद यादव को जेल से बाहर आने के लिए बस इस मामले में और जमानत की जरूरत है, क्योंकि इससे पहले के 3 मामलों में वो जमानत प्राप्त कर चुके हैं।