Budget 2023: घर खरीदारों को बजट से 5 बड़ी उम्मीदें क्या हैं ?
Budget 2023 expectations:ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने घर खरीदने वालों की चिंता बढ़ा रखी है। ऐसे में डाउन पेमेंट में रियायत और इंटरेस्ट पर टैक्स में छूट बढ़ने की उम्मीदें की जा रही हैं।
Budget 2023 expectations: 2022 में हाउसिंग सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया है। एनारॉक रिसर्च के मुताबिक साल 2022 में आवासीय प्रॉपर्टी की बिक्री 2021 के मुकाबले 50% से ज्यादा बढ़ी है। लेकिन, 2023 या इससे आगे के वर्षों के लिए सबकुछ उतना खुशनुमा नहीं लग रहा है। इसलिए जानकारों का कहना है कि बजट 2023-24 से घर खरीदारों और बेचने वालों दोनों को काफी उम्मीदें हैं। खासकर होम लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से इस क्षेत्र में जो चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, उसको देखते हुए। क्योंकि, यह सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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होम लोन की शर्तों में बदलाव
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएमजीसी के सीओओ अनुज शर्मा का कहना है कि होम लोन किफायती हो, इसके लिए ब्याज दरों को कम करने की आवश्यकता है। हालांकि, ब्याज दरें तो रिजर्व बैंक की नीतियों पर आधारित है, लेकिन बजट के माध्यम से घर खरीदारों को होम लोन से संबंधित नियमों में कुछ रियायतें दी जा सकती हैं। उन्होंने कहा, 'इसमें आवश्यक डाउन पेमेंट को घटाने जैसे प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं या होम लोन लेने के लिए पात्रता की शर्तों को और ज्यादा आसान बनाया जा सकता है। इससे घर खरीदने वालों को फाइनेंस करवाना आसान होगा।'
टैक्स में राहत
जानकारों का मानना है कि ब्याज दरों में बढ़तरी से होम लोन और रियल एस्टेट सेक्टर पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है। क्योंकि, ब्याज दरों में बढ़ोतरी खरीदारों के लिए बहुत बड़ी चिंता की वजह बन रही है। ऐसे में सरकार को होम लोन इंटरेस्ट पर टैक्स में छूट बढ़ाने की आवश्यकता है। सेक्शन 24 (b)के तहत इसे मौजूदा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक किया जा सकता है। शर्मा का कहना है कि टैक्स में छूट या पहली बार घर खरीदने वालों को रियायत देकर उनके लिए अपना आशियाना बनाना आसान किया जाना चाहिए।
अफोर्डेबल हाउसिंग लिमिट में बदलाव
बेसिक होम लोन के फाउंडर और सीईओ अतुल मोंगा का कहना है कि अभी जो अफोर्डेबल प्रॉपर्टी के लिए 45 लाख रुपए की सीमा तय की गई है, वह देश के ज्यादातर शहरों के लिए उचित नहीं है। उनके मुताबिक इसे बढ़ाकर 75 लाख रुपए या इससे भी ज्यादा किया जाना चाहिए। मतलब, इससे लोगों को अफोर्डेबल हाउसिंग के नाम पर मिलने वाली रियायतों की सीमा काफी बढ़ जाएगी और उनके लिए घर खरीदना आसान होगा।
जीएसटी में रियायत
एक्सपर्ट कह रहे हैं कि अभी जो निर्माणाधीन और अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए जीएसटी का ढांचा है, उससे डेवलपरों पर अतिरिक्त भार पड़ता है। इसकी वजह से आखिरकार खरीदारों को ही ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। स्टील पर 18% और सीमेंट पर 28% जीएसटी के चलते घरों की कीमत बढ़ जाती है और डेवलपर इन चीजों पर दी गई जीएसटी पर टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकते। इस बोझ को कम करने और प्रॉपर्टी को किफायती बनाने के लिए सरकार आने वाले बजट में इनपुट टैक्स क्रेडिट बहाल करने पर विचार कर सकती है। इसके अलावा निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के लिए 1% जीएसटी फिक्स करके और कच्चे माल जैसे सीमेंट और लोहा की लागत घटाकर भी, ज्यादा से ज्यादा लोगों को किफायती घर उपलब्ध करवाया जा सकता है।
रेंटल हाउसिंग को बढ़ावा
Pharande Spaces के चेयरमैन और CREDAI पुणे-मेट्रो के प्रेसिडेंट अनिल फरांडे ने कहा है कि भारत में अभी भी रेंटल हाउसिंग तुलनात्मक रूप से विकसित नहीं हो पाई है। 2023 के आम बजट में इस सेक्टर के विकास पर ध्यान दिया जा सकता है। इसके लिए रेंटल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर काम करने वाले डेवलपरों को टैक्स में रियायतें देने की घोषणा की जानी चाहिए।