BSF के पूर्व जवान ने ब्रेन डेड होने के बाद बचाई 3 लोगों की जान, आर्मी के एक पूर्व सैनिक को भी मिली नई जिंदगी
BSF के पूर्व जवान ने ब्रेन डेड होने के बाद भी बचाई 3 लोगों की जान, परिवार ने किया था अंगदान
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व सैनिक ने ब्रेन डेड होने के बाद भी तीन लोगों की जान बचाई है। 52 वर्षीय बीएसएफ के पूर्व जवान राकेश कुमार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दो दिन पहले ब्रेन डेड घोषित किया था। इसके बाद परिवार ने इनका अंगदान किया, जिससे तीन लोगों की जान बचाई गई। सेना के अनुसंधान और रेफरल (आर एंड आर) अस्पताल में एक 49 वर्षीय पूर्व सैनिक का शुक्रवार को हृदय प्रतिरोपित किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात को पूर्व सैनिक में सफलतापूर्वक हृदय प्रतिरोपित किया गया। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है और आरआर अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी में एडमिट हैं।
जिस हार्ट दिया, उसको थी गंभीर बीमारी
राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले पूर्व सैनिक तीन वर्षों से डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी थे। ये एक तरह की हृदय की मांसपेशियों की बीमारी है, जिसमें हृदय के वेंट्रिकल्स में पतलापन और खिंचाव हो जाता है। जिसकी वजह से शरीर के बाकी हिस्सों में बल्ड फ्लो सही से नहीं हो पाता है। डॉक्टरों ने कहा कि ये एक जिसमें मेडिकल ट्रीटमेंट के बाद भी हृदय गति रुकने के लक्षण बने रहते हैं।
दो अलग-अलग मरीजों को दी गई किडनी
वहीं जिस दूसरे मरीज की जान बचाई गई है, वो दिल्ली एम्स में ही एडमिट था। दिल्ली एम्स के मरीज को राकेश कुमार की एक किडनी दी गई थी। वहीं राकेश कुमार की दूसरी किडनी एक मरीज के लिए सफदरजंग अस्पताल भेजा गया। एम्स के अधिकारियों के मुताबिक, बीएसएफ के पूर्व जवान राकेश कुमार की एक किडनी एम्स में ही इस्तेमाल की गई और दूसरी को सफदरजंग अस्पताल में एक मरीज के लिए भेजा गया। आने वाले हफ्तों में उनके दोनों किडनी को ट्रांसप्लांट के लिए सुरक्षित रखा गया है।
लीवर नहीं किया गया दान
एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि ब्रेन डेड मरीज की बायोप्सी की गई तो हमने पाया कि लीवर फैटी और सूजन वाला है, इसलिए हमने इसको ट्रांसप्लांट कराने का फैसला नहीं किया है। एक डॉक्टर के मुताबिक ब्रेन डेड मरीजों में सिर्फ 70 फीसदी लीवर ही ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त पाए जाते हैं।
6 अक्टूबर को किया गया था ब्रेन डेड घोषित
डॉक्टर ने बताया कि फिरोजाबाद के रहने वाले राकेश कुमार 3 अक्टूबर को अपने घर में बिजली की मरम्मत के दौरान गिर गए थे। जिसके बाद उन्हें स्थानीय ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां से उन्हें एम्स रेफर कर दिया गया। लेकिन जीवित नहीं रह सके और 6 अक्टूबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
एम्स ट्रॉमा सेंटर में ऑर्गन प्रोक्योरमेंट सर्विसेज टीम, न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ दीपक गुप्ता ने कहा, राकेश कुमार के भतीजे एम्स ट्रॉमा सेंटर में आपातकालीन चिकित्सा विभाग में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर हैं, उन्होंने ही परिवार को अंग दान के महत्व को समझाया। डॉ दीपक गुप्ता ने कहा, इस साल अप्रैल से एम्स में कुल 13 अंगदान हुए हैं और यह 1994 के बाद से सबसे अधिक है।