बूस्टर डोज के लिए 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को नहीं दिखाना होगा कोई मेडिकल सर्टिफिकेट
नई दिल्ली। बढ़ते कोविड-19 के मामलों को देखते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र संबोधन के दौरान बूस्टर डोज का ऐलान किया था, जो स्वास्थ्य सेवा के लिए, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को 10 जनवरी से लगाया जाएगा। इसी क्रम में मंगलवार को केंद्र ने कहा कि कॉमरेडिडिटी वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को बूस्टर डोज के लिए किसी मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। यह फैसला राज्यों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की बैठक के बाद लिया गया है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग डॉक्टर से प्रमाण पत्र के बिना "एहतियाती" खुराक का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, डोज लेने से पहले उन्हें अपने चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए।
स्वास्थ्य सचिव राकेश भूषण ने कहा कि सह-रुग्णता वाले 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को एहतियाती खुराक के प्रशासन के समय डॉक्टर से कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे व्यक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वे इसका लाभ उठाने का निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें। सरकारी बयान में कहा गया है कि बूस्टर खुराक दूसरी खुराक देने के नौ महीने बाद ही ली जा सकती है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, मधुमेह, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, किडनी रोग या डायलिसिस, सिरोसिस, कैंसर, सिकल सेल रोग और वर्तमान में लंबे समय तक उपयोग सहित 20 विशिष्ट comorbidities के आधार पर एहतियाती खुराक की अनुमति देने की संभावना है। भारत की 61 प्रतिशत से अधिक वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराकें मिल चुकी हैं। इसी तरह, लगभग 90 प्रतिशत वयस्क आबादी को पहली खुराक मिल चुकी है।