वुसअत का ब्लॉग: ‘शंभूलाल तुम्हारा तो मुमताज़ क़ादरी हमारा हीरो’
वुसअतुल्लाह ख़ान बता रहे हैं कि कैसे पाकिस्तान और हिंदुस्तान में समानताएं हैं.
जी ख़ुश हो गया यह सुनकर कि एक बंगाली मज़दूर मोहम्मद अफ़राज़ुल को ज़िंदा जलाने वाले शंभुलाल की हिमायत में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की हिमायत से लगभग 300 प्रदर्शनकारियों ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट उदयपुर पर भगवा झंडा फहरा दिया.
और दो दिन की झड़पों में 25 पुलिस कर्मचारियों समेत 40 लोग ज़ख़्मी हुए और 75 के लगभग गिरफ़्तारियां हुईं.
इससे पहले 8 दिसंबर को उदयपुर के कुछ मुसलमानों ने मोहम्मद अफ़राज़ुल के हत्यारे को सज़ा-ए-मौत दिए जाने की मांग को लेकर एक जुलूस निकाला और भगवा आतंकवाद के ख़िलाफ़ अल्लाहो अकबर के नारे लगाए.
पुलिस को एक हफ़्ते के बाद ख़याल आया कि इनके ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर कटनी चाहिए. चुनांचे 10 मुसलमानों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया.
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लव जिहाद का विरोध करना ख़तरनाक
मुसलमानों के अलावा किसी और समुदाय की तरफ़ से 'हत्यारे को फांसी दो' की मांग नहीं सुनाई दी. यह सब सुन और पढ़कर मुझे लगा कि जैसे सब कुछ मेरी अगली गली में हो रहा हो और अब से थोड़े हो रहा है.
उड़ीसा में भी ईसाई बस्तियां जलाई गईं और अपने लाहौर और गोजरा में भी. बल्कि कल ही क्रिसमस से एक हफ़्ता पहले क्वेटा के चर्च में धमाका भी हो गया. बस 9 ईसाई ही तो मरे.
जैसे शंभूलाल उदयपुर का हीरो है. वैसे ही गवर्नर सलमान तासीर को धर्म का अपमान करने पर मारने वाला मुमताज़ क़ादरी हमारा हीरो है.
वहां लव जिहाद के आरोप पर किसी की जान जा सकती है. यहां लव जिहाद का विरोध करने पर जान जा सकती है.
जैसे वहां गौरी लंकेश हिंदुत्व की तौहीन करने पर क़त्ल हो सकती हैं. वैसे ही यहां तौहीन-ए-मज़हब का आरोप लगने के बाद जान बचना मुश्किल है.
जैसे वहां मुसलमान जुलूस नहीं निकाल सकता और जुलूस निकाले तो भगवा आतंकवाद का नारा नहीं लगा सकता. वैसे ही हमारे यहां अगर ईसाई जिहाद के नाम पर आतंकवाद के ख़िलाफ़ जुलूस निकालें तो उन पर आसमान टूट सकता है.
जैसे वहां कोई ब्लॉगर या फ़ेसबुकिया या ट्विटरिया, आरएसएस या उससे जुड़ी किसी संस्था के ख़िलाफ़ कुछ लिख दे तो उसे गालियों के तूफ़ान में डुबो दिया जाता है. वैसे ही हमारे यहां अगर कोई किसी स्टेट या नॉन स्टेट एक्टर के ख़िलाफ़ खुलकर कुछ लिख दे तो उसके ग़ायब होने या न होने की कोई ज़मानत नहीं.
भारत भेजने की धमकी नहीं मिलती
आपके यहां मोदी के ख़िलाफ़ और हमारे यहां इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ कोई कुछ कह दे या लिख दे तो सोशल मीडिया की स्क्रीन ख़ूनम ख़ून हो जाती है.
तो ऐ मेरे आरएसएस, भाजपा, वीएचपी, बजरंगी दोस्तों और यहां से वहां तक फैले राम भक्तो! अब किसी को पाकिस्तान भेजने की धमकी मत देना.
तुमने तो अपने यहां ही सारा इंतज़ाम हमसे बेहतर कर लिया है. क्या तुमने कभी सुना कि हमने किसी को भारत भेजने की धमकी दी हो? ज़रूरत ही नहीं.
पर एक बात की गारंटी है कि अगले चुनाव में हमारे यहां कोई भी अतिवादी सरकार नहीं बना पाएगा.
औरंगज़ेब के लिए अब इस्लामाबाद हुआ मुफ़ीद!