घाटी में बीजेपी का तापमान जीरो डिग्री
श्रीनगर। जिस पल का इंतजार पिछले करीब दो माह से हर किसी को था, मंगलवार को आ गया। सितंबर में पूरी कश्मीर घाटी बाढ़ की वजह से पैदा हुए मुश्किल हालातों का सामना कर रही थी। उस समय हर कोई यह बात कर रहा था कि जिस तरह से केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस मुश्किल घड़ी में घाटी के लोगों का साथ दिया है, उसका फायदा आने वाले चुनावों में जरूर पार्टी को मिलेगा।
मंगलवार को जो नतीजे आए, उसने पार्टी के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम तो किया लेकिन एक पार्टी के माथे पर थोड़ी शिकन लाने का काम भी किया।
दो हिस्सों में बंट गया जम्मू कश्मीर
जैसे-जैसे नतीजे आ रहे थे, ऐसा लग रहा था कि जम्मू कश्मीर दो हिस्सों में बंट गया है। एक हिस्सा जम्मू का जिसने खुलकर बीजेपी के लिए वोट किया और दूसरा हिस्सा कश्मीर घाटी का जिसने सिर्फ पीडीपी के लिए वोट किया।
जम्मू कश्मीर विधानसभा तीन हिस्सों में बंटी हुई है। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख जिसमें जम्मू से 36 विधानसभा सीटें, कश्मीर से 46 और लद्दाख से चार सीटें हैं।
जम्मू में जहां बीजेपी को मिले वोटों से उसने राज्य में एतिहासिक नतीजे हासिल किए तो वहीं कश्मीर और लद्दाख में हुई वोटिंग ने उसे सत्ता की चाबी देने से इंकार कर दिया।
मुसलमान
कार्ड
भी
हो
गया
फेल
शाम
पांच
बजे
तक
जो
नतीजे
आए
उनके
मुताबिक
बीजेपी
ने
24
सीटों
पर
जीत
हासिल
कर
ली
थी
और
एक
सीट
पर
पार्टी
लीड
कर
रही
थी।
इन
24
सीटों
में
सबसे
ज्यादा
योगदान
जम्मू
का
रहा।
बीजेपी
ने
जम्मू
कश्मीर
का
चुनाव
जीतने
के
लिए
14
मुसलमान
उम्मीदवार
खड़े
किए
थे।
नतीजों से साफ हो गया कि घाटी के लोगों को बीजेपी का मुस्लिम कार्ड जरा भी नहीं पाया। श्रीनगर से पार्टी की अहम उम्मीदवार हिना भट्ट को भी हार का मुंह देखना पड़ गया।
वोटर हो गए कंफ्यूज
घाटी और लेह जहां पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने रैलियां की। पार्टी ने दावा किया कि जो भीड़ उन रैलियों में आ रही है, वह पार्टी के लिए लोगों का मूड बयां करती हैं। नतीजों से साफ हो गया कि घाटी में मतदाताओं ने कश्मीर की पार्टी पीडीपी को नए विकल्प के तरजीह देना जरूरी समझा।
घाटी के मतदाताओं ने हिंदुवादी विचारधारा वाली बीजेपी को सरकार बनाने के कोई मौका देने का मन पहले ही बना लिया था। कहीं न कहीं बीजेपी को अफस्पा और धारा 370 पर वोटरों को कंफ्यूज करने का खामियाजा भुगतना पड़ा है।