बीजेपी नेताओं को भी सताने लगा हार का डर!
पटना (मुकुन्द सिंह)। राजनीति में जनता के अंतिम फैसले से पहले हार स्वीकारने की परंपरा नहीं रही है। हालांकि यह पहला अवसर रहा जब भाजपा के कई दिग्गजों ने दबी जुबान से ही यह स्वीकार किया कि पहले दो चरणों में महागठबंधन को लीड मिली।
तीसरे चरण के 50 विधानसभा क्षेत्रों में 40 सामान्य, 10 संवेदनशील
यह स्वीकारोक्ति इसलिए भी खास है क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव की लड़ाई में कमान सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाथों में है। लिहाजा शेष तीन चरणों में उसने जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है।
बीजेपी नेताओं को भी सताने लगा हार का डर!
लेकिन मतदान के ठीक एक दिनों पहले भाजपा द्वारा जिस तरह से ताबड़तोड़ हमले किये जा रहे हैं, उसका जनता पर क्या असर होगा, यह तो आगामी 8 नवंबर को मतदान में सामने आयेगा, लेकिन इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि ताबड़तोड़ हमले का जनता पर नकारात्मक असर भी हो सकता है। इसकी पूरी तैयारी भी महागठबंधन के नेताओं द्वारा की जा चुकी है।
दो चरणों में महागठबंधन का दिखा असर
राजद सूत्रों के मुताबिक लालू प्रसाद महुआ, वैशाली विधानसभा, लालगंज विधानसभा छपरा विधानसभा क्षेत्र, मढौरा़ विधानसभा क्षेत्र बनियापुर विधानसभा क्षेत्र, डुमरांव विधानसभा क्षेत्र और अगियांव विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सभाओं को लालूप्रसाद के द्वारा को संबोधित करने का फैसला लिया है।अब यदि तीसरे चरण के विधानसभा क्षेत्रों पर सरसरी निगाह डालें तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इस बार जिन क्षेत्रों में चुनाव होने हैं वहां भाजपा का सामाजिक समीकरण भी कमजोर नहीं है।
भाजपा का सामाजिक समीकरण कमजोर
शहरी इलाकों में भाजपा के वर्चस्व की अब परंपरा बन चुकी है। वहीं छपरा के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। जबकि पटना के 12 विधानसभा क्षेत्रों में आधे पर भाजपा का कब्जा पिछली बार रहा था। लेकिन इनमें पालीगंज और बिक्रम विधानसभा क्षेत्रों में सामाजिक राजनीतिक गणित बदल जाने से भाजपा की राहें मुश्किल नजर आ रही हैं। संभवत: यही वजह रही कि पटना में चुनावी रैली करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिक्रम विधानसभा क्षेत्र का चयन किया।
पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैली
उधर बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती भोजपुर में भी तीसरे चरण में चुनाव होने हैं। पहले नीतीश कुमार के कारण इन इलाकों में भाजपा को मिली जीत इस बार दोनों के लिए चुनौती बन गयी है। फिलहाल तो सबसे अधिक चर्चे में वैशाली जिले के राघोपुर और महुआ विधानसभा क्षेत्र हैं। इन दोनों क्षेत्रों से लालू प्रसाद के दोनों पुत्र चुनाव लड़ रहे हैं।
समीकरण बदल गये हैं
कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि लालू प्रसाद के बेटों को हराने के लिए प्रधानमंत्री ने हाजीपुर में चुनावी रैली की और बेटों के बहाने लालू प्रसाद पर जमकर वार किया।बहरहाल इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में राजनीति बहुत बदल चुकी है। पार्टियों ने अपनी रणनीतियों में काफी फेरबदल किया है।सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार की जनता भाजपा के लालू-नीतीश हराओ महा अभियान के प्रति आकार्षित होगी।