हरियाणा-महाराष्ट्र से भाजपा ने नहीं लिया सबक, झारखंड में दलबदलुओं पर फिर मेहरबानी
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दलबदलू नेताओं को तरजीह दी है। जिन 52 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गयी है उसमें कई दलबदलू नेताओं को टिकट से उपकृत किया गया है। भाजपा को हर हाल में जीत चाहिए इसलिए उसने विवादास्पद नेताओं को भी बेहिचक टिकट दिया है। भाजपा ने फिलहाल अपना ध्यान सिर्फ जिताऊ उम्मीदवारों पर केन्द्रित कर रखा है। उसने 30 सीटिंग विधायकों को टिकट दिया, दस विधायकों के टिकट काट दिये है और 10 नये उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। दूसरे दल से आने वाले ग्यारह नेता टिकट लेने में सफल हुए हैं। अभी दूसरी सूची आनी बाकी है। इनकी संख्या अभी और बढ़ेगी। भाजपा को हरियाणा और महाराष्ट्र में दलबदलुओं की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा था। महाराष्ट्र में चुनाव से ठीक पहले 19 नेता दूसरे दलों से भाजपा में आये थे जिनमें 11 हार गये थे। हरियाणा में भी 73 फीसदी दलबदलू हार गये थे। इसके बावजूद भाजपा ने झारखंड में दलबदलुओं पर भरोसा जताया है।
विवादास्पद नेताओं को भी टिकट
सबकी निगाहें इस बात पर टिकीं थी कि भाजपा भानुप्रताप शाही को टिकट देती है कि नहीं। लेकिन जब शाही को टिकट मिल गया तो ये बात साफ हो गयी कि साफ सुथरी राजनीति की बात करने वाले मोदी भाजपा भी अन्य पार्टियों की तरह ही है। नौजवान संघर्ष मोर्चा नाम से पार्टी चलाने वाले शाही भवनाथपुर से विधायक हैं। उन्होंने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर लिया था। अब वे 2019 में भाजपा के टिकट पर भवनाथपुर से चुनाव लड़ेंगे। शाही की राजनीति काफी चर्चित रही है। वे मधु कोड़ा की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। 130 करोड़ के दवा घोटाला में वे आरोपी हैं और उनके खिलाफ अभी भी ट्रायल चल रहा है। लालू यादव के खिलाफ आग उगलने वाले भाजपा के नेता शाही को टिकट देने के फैसले पर खामोश हैं। इसी तरह विवादास्पद छवि के ढुल्लू महतो को फिर बाघमारा से टिकट दिया गया है। वे भाजपा के मौजूदा विधायक हैं। 2018 में पार्टी की एक महिला नेता ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। विधायक के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज करने से मना कर दिया था। तब कोर्ट के आदेश पर विधायक के खिलाफ यौन शोषण का केस दर्ज हुआ था।
अपने दरकिनार और बेगानों से प्यार
2014 में बरही सीट पर कांग्रेस के मनोज यादव ने भाजपा के पूर्व विधायक उमाशंकर अकेला को हराया था। उमाशंकर अकेला 2019 में टिकट के दावेदार थे। लेकिन मनोज यादव ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उमाशंकर 2009 में बरही से भाजपा के विधायक रहे थे। उनका भी क्षेत्र में प्रभाव है। भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता मनोज यादव के खिलाफ ही रहे हैं। अब वे मनोज यादव के लिए वोट मांगने की बात मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में भाजपा का यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे मजबूत दल को छोड़ कर भाजपा में आये विधायक कुणाल षाडंगी और जयप्रकाश भाई पटले को टिकट दिया गया है। भाजपा ने कुणाल को बहरागोड़ा और जयप्रकाश को मांडू से उम्मीदवार बनाया है। 2014 में कुणाल ने भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी को हराया था। भाजपा ने इस सीट पर भी अपने पुराने नेता की बजाय दलबदलू नेता पर अधिक भरोसा किया। भाजपा के कार्यकर्ता अपने पूर्व अध्यक्ष को नजरअंदाज किये जाने से खफा हैं।
आयातित नेताओं पर मेहरबानी
राजद से भाजपा में आये पूर्व विधायक जनार्दन पासवान को चतरा से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक जयप्रकाश भोक्ता का टिकट काट कर जनार्दन पासवान पर नजरे इनायत की है। 2009 के चुनाव में जनार्दन पासवान राजद के टिकट पर जीते थे। राजद से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले भाजपा समर्थक अब राजद के पूर्व विधायक पर कितना भरोसा करते हैं, ये तो चुनाव के बाद पता चलेगा। लेकिन यहां दल बदल का खेल पहले भी होता रहा है। 2005 में चतरा सीट पर भाजपा के सत्यानंद भोक्ता ने राजद के जनार्दन पासवान को हराया था। 2014 में यही सत्यानंद भोक्ता झाविमो का उम्मीदवार बन कर जयप्रकाश भोक्ता के खिलाफ खड़े हो गये। जयप्रकाश भोक्ता जीते तो 2019 में उनका टिकट ही कट गया। अब यहां लालटेन ढोने वाले जनार्दन कमल खिलाने के लिए आतुर हैं। इसी तरह भाजपा ने हटिया से नवीन जायसवाल , डाल्टेनगंज से आलोक चौरसिया , सारठ से रणधीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। ये सभी नेता 2014 में झाविमो से जीते थे। राजद के पूर्व सांसद मनोज भुइंया छतरपुर से टिकट के दावेदार थे। लेकिन एक विवाद की वजह से उनकी जगह उनकी पत्नी पुष्पा देवी को वहां से टिकट दिया गया है। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा का बाहरी नेताओं पर लगाया गया दांव फायदेमंद साबित नहीं हुआ था। अब देखना है कि झारखंड में इसका क्या नतीजा निकलता है।
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