पीओके से पहले मोदी सरकार लाल चौक पर तो तिरंगा फहराए फ़ारुक़ अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुक़ अब्दुल्ला के पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर फिर विवादित बोल.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को चुनौती दी है कि पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर झंडा फहराने की बात करने से पहले श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर दिखाए.
अब्दुल्ला इससे पहले भी पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को लेकर विवादित बयान देते रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का इलाक़ा भारत का हिस्सा नहीं हो सकता. उन्होंने फिर दोहराया कि वो तथ्य बता रहे थे और जो कुछ उन्होंने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के बारे में कहा, वो 'सच' है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जम्मू में कांग्रेस नेता जीएल डोगरा की 30वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर आप सच नहीं सुनना चाहते तो भुलावे में ही रहें."
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं राज्य के उप-मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अलगाववादियों और चरमपंथियों को मज़बूत कर रही है. उन्होंने कहा कि लाल चौक सहित राज्य के हर हिस्से में तिरंगा फहराया जा रहा है.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह ऐसी टिप्पणियां करके भारतीयों की संवेदनाएं आहत नहीं कर रहे हैं, उन्होंने कहा, ''भारतीय संवेदना क्या होती हैं? क्या आप यह सोच रहे हैं कि मैं भारतीय नहीं हूं?''
'पीओके पाकिस्तान का हिस्सा है और रहेगा'
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अब्दुल्ला ने कहा, ''आप किनकी संवेदनाओं की बात कर रहे हैं? उन दुष्टों के बारे में जिन्हें हमारी तकलीफें नहीं दिखाई देतीं? जो सीमा पर रहने वाले लोगों की तकलीफ़ें नहीं देखते? कि जब गोले बरसने शुरू होते हैं तो उन्हें कैसी तकलीफ़ से गुजरना पड़ता है.''
'केंद्र से पूछें सवाल'
हाल में छुट्टी पर गए थलसेना के एक जवान की हत्या के बारे में पूछने पर फ़ारुक़ ने कहा कि यह सवाल तो केंद्र से पूछा जाना चाहिए क्योंकि वह दावा करता है कि नोटबंदी के बाद कश्मीर में शांति लौट आई है. फ़ारुक़ ने उस घटना की निंदा की जिसमें कुछ दिन पहले राजौरी ज़िले में राष्ट्रगान के वक्त दो छात्र खड़े नहीं हुए थे.
उन्होंने कहा कि देश के लिए सम्मान महत्वपूर्ण है और राष्ट्रगान सबसे अधिक सम्माननीय है.
उन्होंने कहा कि दोषियों के माफ़ी मांगने तक सरकार को उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें हलफ़नामा देना चाहिए कि वे ऐसा दोबारा नहीं करेंगे.