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महाराष्‍ट्र में एनसीपी की साजिश का शिकार हुई भाजपा !

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बेंगलुरु। महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बाद भाजपा के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार के गिर जाने के बाद उपजे हालात में प्रदेश को उद्वव ठाकरे की सरकार मिलने जा रही हैं। लेकिन इस पूरी सियासी उठापटक के बीच एनसीपी नेता अजित पवार का अंदाल बड़ा ही रहस्‍यमय नजर आया। अजित पवार का विरोधी खेमे में जाने के दुस्‍साहस के बावजूद एनसीपी का गद्दार अजित को गले लगाना भाजपा के खिलाफ एनसीपी की कही सोची समझी साजिश तो नहीं?

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बता दें शनिवार को जब अजित पवार ने पाला बदलते हुए देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ ली तो हर कोई चौंक गया था। बीजेपी की ओर से दावा किया गया था कि अजित पवार के साथ एनसीपी के कई विधायक हैं और उनके पास बहुमत हैं। लेकिन मंगलवार को पूरा गेम पलट गया और अजित पवार ने पहले उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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जिसके बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार मंगलवार को बीजेपी को चारों खाने चित्त करके सिंकदर की तरह सामने आए। उनकी राजनीतिक अनुभव और सूझबूझ ने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के अस्वाभाविक माने जा रहे गठबंधन को सच कर दिखाया और सरकार बनाने के भाजपा के सारे प्रयासों और दांव को बेअसर कर दिया। इस पूरे सियासी घटनाक्रम में एक राज यह भी है कि अजित पवार ने बगावत का दुस्साहस किया या फिर यह चाचा शरद पवार ने उन्‍हें विरोधी खेमे में भेजकर कोई सियासी चाल चली थी?

अजीत के खिलाफ नहीं की गयी कोई कार्रवाई

अजीत के खिलाफ नहीं की गयी कोई कार्रवाई

इस पूरे घटनाक्रम पर गौर करें तो इस बात पर संदेह होना लाज़मी इसलिए हैं क्योंकि अजित पवार के बागी होने के बाद भाजपा सरकार में शामिल होने पर शरद पवार ने कहा, 'ये फैसला पार्टी का नहीं है। मैं साफ करना चाहता हूं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते हैं।' जहां एक ओर एनसपी प्रमुख ने अजित के इस फैसले को निजी बताया, वहीं दूसरी ओर उनके बागी होने के बाद भी उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की।

परिवार और पार्टी के लोग भी लगातार उनसे बात करते रहे और भाजपा को सपोर्ट करने का अपना फैसला वापस लेने के लिए मनाते रहे। फडणवीस-अजित सरकार के खिलाफ एनसीपी- कांग्रेस-शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी तब तक उपमुख्‍यमंत्री बने अजित पवार ने समर्थन वापस नही लिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 24 घंटे में भाजपा सरकार को बहुमत साबित करने के आदेश के चंद घंटे बाद अजित पवार ने इस्‍तीफा देकर भाजपा की मल्‍टीपलीद करवा करवा कर एनसपी ने अपना उद्देश्‍य सिद्ध कर लिया।

अजित ने शपथ लेने के बाद नहीं डिप्‍टीसीएम का कार्यभार

अजित ने शपथ लेने के बाद नहीं डिप्‍टीसीएम का कार्यभार

इतना ही नहीं अजित पवार ने विगत शनिवार को देवेन्‍द्र फडणवीस के साथ शपथ तो ली, लेकिन तीन दिनों के दौरान कार्यभार नहीं संभाला। इस दौरान सीएम बने फडणवीस अपने पद से जुड़ी जिम्मेदारियां निभाते दिखे लेकिन अजित पवार डिप्‍टीसीमए बनने के बाद न ही किसी बैठक में गए और न ही किसी राजकीय समारोह में भाग लिया। गौरतलब है कि भाजपा की पूरी बाजी अजित पर टिकी हुई थी। उन्‍हीं के सहयोग से भाजपा ने रातों रात महाराष्‍ट्र में सरकार बनाने का दावा किया था। लेकिन अचानक इस्‍तीफा देने के बाद एनसीपी में वापसी से बीजेपी का प्लान धरा का धरा रह गया।

अजित को सु्प्रिया सुले ने पैर छू कर किया स्‍वागत

अजित को सु्प्रिया सुले ने पैर छू कर किया स्‍वागत

एनसीपी को छोड़ भाजपा के साथ जाने वाले अजित पवार शरद पवार के खेमे में लौटते ही एनसीपी नेता सुप्रिया सुले जो कि शरद पवार की बेटी ने उनका स्वागत किया है। बुधवार सुबह अजित पवार भी विधानसभा पहुंचे, जहां सुप्रिया सुले ने गले मिलकर उनका स्वागत किया। इतना ही नहीं शरद पवार की बेटी और अजित की भतीजी सुप्रिया ने अजित का पैर छू कर आर्शीवाद भी लिया। मानो कुछ हुआ ही नहीं। सुप्रिया ने चाचा अजीत का स्‍वागत करते हुए सफाई दी कि ज़िंदगी में कुछ खट्टा-मीठा चलता रहता है। वहीं मंगलवार को अजित के इस्‍तीफा देने के बाद एनसीपी कार्यकताओं ने वी लव यूं अजित के नाम के पोस्‍टर साथ अजित का धन्‍यवाद ऐसे किया जैसे कि वह कोई किला फतेह करके आए हो।

महाराष्‍ट्र से भाजपा को उखाल फेंकने की चाल

महाराष्‍ट्र से भाजपा को उखाल फेंकने की चाल

गौर करने वाली बात ये हैं कि महाराष्‍ट्र में सियासत की रस्‍साकसी के बीच कांग्रेस-एनसीपी की पहली प्राथमिकता बीजेपी को सत्ता से दूर रखना था। दोनों ही पार्टियों शुरु से कोशिश भी कि बीजेपी को पावर में आने से रोका जाए। शिवसेना के मुख्‍यमंत्री पद और सरकार में 50:50 के बंटवारे की जिद के कारण भाजपा ने सरकार बनाने के दावें से पांव पीछे कर लिए। जिसके बाद घोर हिंदूवादी पार्टी शिवसेना का कम्‍युनिस्‍ट एनसीपी के साथ हाथ मिलाने के कारण आलोचना होने लगी। वहीं भााजपा का महाराष्‍ट्र में कद ऊंचा होता नजर आने लगा। सत्ता से बाहर होने के बावजूद भी भाजपा के न झुकने के कारण वाहवाह हो रही थी। शायद यही बात एनसीपी को हजम नही हुई और भाजपा को नीचा दिखाने के लिए अजित पवार को समर्थन के लिए भेज कर चाचा शरद पवार ने भाजपा से अपनी पुरानी दुश्‍मनी निकाली हो! खैर ये भी ऐसा रहस्‍य है जिस पर से पर्दा शायद ही कभी उठेगा।

धनंजय मुंडे के संग रची गयी यह साजिश

धनंजय मुंडे के संग रची गयी यह साजिश

इतना ही नहीं महाराष्ट्र में रातोरात फडणवीस सरकार के गठन में अगर किसी शख्स ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तो वो थे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता धनंजय मुंडे जिन्होंने अजित पवार के लिए एनसीपी विधायकों को एकजुट किया था। अजित पवार ने जब राजभवन में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी तो वो धनंजय मुंडे ही थे, जिन्होंने विधायकों को अजित पवार के लिए एकजुट किया था। लेकिन शनिवार की शाम तक अचानक धनंजय मुंडे समेत अन्‍य अजित के साथ आए सभी विधायक एनीसीपी की बैठक में लौट गए। दरअसल धनंजय मुंडे बीजेपी के कद्दावार दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे हैं।

एक बार फिर एनसीपी खेमे में चले जाने की वजह से महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ जिसके बाद फडणवीस की सरकार गिर गई। माना जा रहा है कि यह सब एनसीपी के शरद पवार की सोची समझी साजिश के तहत हुआ। गौरतलब है कि धनंजय मुंडे गोपीनाथ मुंडे की मौत के बाद बेटी पंकजा मुंडे को जब पिता की राजनीतिक विरासत मिली तो धनंजय मुंडे ने एनसीपी का दामन थाम लिया था। धनंजय मुंडे को एनसीपी में लाने और पंकजा के खिलाफ चुनाव में जीत दिलाने में अजित पवार ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

अजित को मोहरा बना कर भाजपा का काम किया तमाम

अजित को मोहरा बना कर भाजपा का काम किया तमाम

शनिवार को जब अजित पवार ने पाला बदलते हुए देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ ली तो हर कोई चौंक गया था। बीजेपी की ओर से दावा किया गया था कि अजित पवार के साथ एनसीपी के कई विधायक हैं और उनके पास बहुमत हैं. लेकिन मंगलवार को पूरा गेम पलट गया और अजित पवार ने पहले उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। शनिवार को अजीत पवार के भाजपा के खेमें जाने के बाद से सबको यह लग रहा था एनसीपी में फूंट पड़ चुकी हैं लेकिन असल में तो वह भजीते अजित नाम के मोहरें से अपनी सियासी चाल चल रहे थे।

विरोधी खेमें मे जाने के बाद अजित पवार को जहां सिंचाई घोटाले में ऐंटी-करप्शन ब्यूरो से पाक-साफ करार का सर्टीफिकेट दिलवा दिया वहीं उनसे इस्‍तीफा दिलवा कर उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महाविकास आघाडी (शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस) सरकार का रास्ता साफ कर दिया। हालांकि इस बार पवार ने जिस तरह अपनी स्टेमिना, सांगठनिक कौशल और मराठा समुदाय में अपनी साख का इस्तेमाल किया और विधानसभा चुनाव में दमदार ढंग से अपनी पार्टी को आगे ले गए, उससे बीजेपी का चुनावी गणित हिल गयी।

इसे भी पढ़े - अजीत पवार से पहले भाजपा में डुबकी लगाकर पवित्र हो चुके हैं बड़े-बड़े दागी

Comments
English summary
In Maharashtra, BJP supporting Ajit and resigning, was there any conspiracy against NCP chief Sharad Pawar of BJP?
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