विधानसभा चुनाव वाले तीन राज्यों की खुफिया रिपोर्ट ने बढ़ाई बीजेपी की चिंता, क्या मोदी ही पार लगाएंगे नैया?
नई दिल्ली। नवंबर-दिसंबर, 2018 में देश के तीन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन तीनों राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में फिलहाल बीजेपी की सरकारें हैं। लेकिन अब बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या यहां आगामी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी अपनी बादशाहत कामयम रख पाएगी? कई मीडिया हाउस के सर्वे में ये बात निकल कर आई है कि इस बार इन राज्यों में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी। अब बीजेपी की चिंता और भी बढ़ गई है क्योंकि खुफिया एजेंसियों ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पार्टी इन तीनों राज्यों में सत्ता खो रही है।

क्या कहती है रिपोर्ट ?
सूत्रों के हवाले से ये कहा जा रहा है कि इन तीनों राज्यों पर नजर रखने वाली खुफिया एजेंसियां अपनी रिपोर्ट में इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि इन राज्यों में लोग बीजेपी से खुश नहीं हैं और अब वो बदलाव चाहते हैं। लेकिन रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि लोग यहां कांग्रेस से भी खुश नहीं हैं। उनके पास छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को छोड़कर कहीं भी कोई अन्य विकल्प नहीं है। लेकिन जोगी का प्रभाव भी सिर्फ एक तबके तक ही सिमित है।

गुजरात जैसे हैं हालात
रिपोर्ट में सबसे दिलचस्प बात ये कही गई है कि इन राज्यों में स्थिति को संभाला जा सकता है और पासा पलटा जा सकता है जैसे पिछले साल गुजरात विधनसभा चुनाव में किया गया। कहा जा रहा है कि गुजरात में भी हालात कमोबेश इसी तरह के थे, वहां भी लोग बीजेपी की राज्य सरकार से खुश नहीं थे लेकिन फिर भी बीजेपी ने राज्य में सत्ता पर फिर से कब्जा किया।
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मोदी करेंगे बेडा़ पार ?
अब बड़ा सवाल ये है कि जिस तरह गुजरात में बीजेपी ने पासा पलटा क्या वो इन तीन राज्यों में भी ऐसा ही कर पाएगी ? क्या गुजरात मॉडल इन राज्यों में भी काम करेगा ? गुजरात में शुरुआती दौर में पिछड़ रही बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताबड़तोड़ चुनावी सभाओं, उनमें लोगों की भावनाओं को छुने वाले भाषणों और अमित शाह की मैन-टू-मैन मार्किंग रणनीति ने उबारा। कम अंतर से ही सही बीजेपी ने चुनावों में जीत हासिल की और राज्य में सरकार बनाई।

कांग्रेस में फूट से होगा फायदा
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगातार तीन बार से बीजेपी सत्ता पर काबिज़ है जिसके चलते उसके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी एक बड़ा फैक्टर है। लेकिन कांग्रेस की आपसी फूट उसके लिए रास्ता आसाना कर सकती है।
मध्यप्रेश में कांग्रेस के बड़े नेता, जैसे राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, चुनाव प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह के परिवार के लोगों में एकजुटता नहीं है।
इसी तरह राज्स्थान में सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों में टकराव कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहा है और ये बीजेपी की वापसी में मदद कर सकता है।
जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो वहां कांग्रेस के पास रमन सिंह को टक्कर देने के लिए कोई चेहरा नहीं है। वहां अजीत जोगी भी अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी की ही मदद कर रहे हैं।

क्या खत्म होगा कांग्रेस का वनवास ?
इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद पार्टी नेतृत्व अब तक इसे भुनाने में कामयाब नहीं हो पाया है। इन राज्यों में कांग्रेस को अगर अपना वनवास खत्म करना है तो उसे बीजेपी सरकारों के खिलाफ लोगों की नाराजगी और गुस्से को बीजेपी के खिलाफ वोट में बदलना होगा। लेकिन ये बात भी स्पष्ट कही जा रही है कि अगर बीजेपी इन राज्यों में आक्रामक प्रचार करती है तो इस बात की पूरी संभावना है कि मतदाताओं का बड़ा वर्ग एक बार फिर बीजेपी की ओर रुख कर सकता है।
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