लोकसभा चुनाव 2019: अपने दम पर 300 सीट जीतने का ये है अमित शाह फॉर्मूला
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2019 के आम चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। इसी के मद्देनजर दिल्ली में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए। बैठक में एक प्रस्ताव लाया गया जिसके तहत पार्टी जिन राज्यों में सरकार चला रही है और जहां अपने सहयोगियों के साथ जूनियर पार्टनर है, वहां आपसी तालमेल बढ़ाकर सीटों की बढ़ाने की कोशिश करेगी। पार्टी की रणनीति 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अकेले 282 सीटों के आंकड़े को और आगे ले जाने की है। पार्टी करीब 300 सीटें जीतने पर विचार कर रही है।
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पार्टी की नजर 300 सीटें जीतने पर
बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेतृत्व पिछले 6 महीने से उन राज्यों में अपनी स्थिति और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है जहां से पार्टी को कुछ और सीटें मिलने की संभावना है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं जहां पार्टी ने 2014 के चुनाव में 73 सीटें अपने नाम की थी, बल्कि देश कई और राज्यों में पार्टी को दोहरी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके बीजेपी उत्तर प्रदेश में एक-दो सीटें ज्यादा जीतकर अपनी टैली को और बढ़ाना चाहती है। हालांकि जैसा पार्टी सोच रही है, उतना फायदा होता नजर नहीं आ रहा है।
बीजेपी शासित राज्यों के साथ बैठक में बनी रणनीति
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी की नजर गुजरात और राजस्थान के साथ-साथ कर्नाटक पर भी है, जहां पार्टी सभी सीटें जीतना चाहती है। दरअसल गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार की कुछ संभावना है। ऐसे में पार्टी की नजर उन इलाकों में है जहां पार्टी ज्यादा फायदा मिल सकता है।
उत्तर-पूर्वी राज्यों पर टिकी निगाहें
इसी के मद्देनजर पार्टी की नजरें उत्तर पूर्वी राज्यों पर टिकी हुई है, जहां पार्टी 8 से 10 सीटें ज्यादा लाने पर विचार कर रही है। हालांकि पार्टी की निगाहें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल पर हैं, जहां उनकी योजना 22 से 24 सीटें लाने की है। अभी पश्चिम बंगाल में बीजेपी की दो सीटें हैं। अपनी योजना को सफल बनाने के लिए पार्टी खास रणनीति पर काम कर रही है, यही वजह से है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने दो रैलियां पश्चिम बंगाल में की हैं। बीजेपी की निगाहें ओडिशा पर भी हैं, जहां पार्टी कांग्रेस को हटाकर वहां खुद को मजबूत करने कोशिश में जुटी हुई है। ओडिशा में पार्टी का वोट बैंक 17 फीसदी है, जो कि 1997 में बीजू जनता दल के 17 फीसदी वोट बैंक के बराबर था हालांकि गठबंधन के कारण बीजेडी ने राज्य में अपनी ताकत बढ़ा ली। हालांकि राज्य में कई बड़े नेता बीजेपी के लिए स्विच कर सकते हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पार्टी बना रही खास रणनीति
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी बीजेपी काम कर रही है, यहां पार्टी ने संगठनात्मक संरचना को तैयार करने के बाद इसे मजबूती देने में जुटी हुई है। पार्टी की रणनीति की वजह से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुछ और वजहों के चलते एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। दूसरी तरफ बीजेपी के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) एक अहम सहयोगी बनकर उभर सकती है।
केरल-तमिलनाडु को लेकर अमित शाह का ये है प्लान
तमिलनाडु में भी बीजेपी ने ध्यान केंद्रित कर रखा है, जहां पार्टी 2004 के अपने आंकड़े में सुधार कर सकती है, उस समय पार्टी ने एआईएडीएमके साथ गठबंधन में 6 सीटें हासिल की थी। केरल की बात करें तो यहां भी बीजेपी की अच्छी उपस्थिति है, पार्टी ने दो सीटें जीत ली हैं। अगर पार्टी यहां एक और सीट भी ज्यादा जीतने में कामयाब हुई तो ये पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।