बीजापुर हमला: आखिर क्या है 'जनताना सरकार', जिनके कब्जे में है CRPF का कोबरा कमांडो
रायपुर: नक्सल कमांडर माडवी हिडमा और उसकी सहयोगी सुजाता को पकड़ने के लिए शुक्रवार रात सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ के जंगलों में बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। इस दौरान 2000 से ज्यादा जवान अलग-अलग टीमों में सुकमा और बीजापुर के जंगलों में घुसे, जहां नक्सलियों से भीषण मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हुए, जबकि 31 जवान घायल बताए जा रहे हैं। इसके अलावा एक जवान को बंधक बनाया गया। नक्सलियों के मुताबिक जब तक सरकार मध्यस्थ का चयन नहीं करती तब तक वो जवान 'जनताना सरकार' की सुरक्षा में रहेगा। तब से लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा कि आखिर ये 'जनताना सरकार' क्या है?
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लोकतंत्र में नहीं भरोसा
दरअसल नक्सलियों की विचारधारा पूरी तरह से अलग है, वो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास नहीं करते हैं। जिस वजह से भारत सरकार या फिर राज्य सरकार पर उनका भरोसा नहीं रहता। इसके अलावा नक्सली घने जंगलों में रहते हैं, ऐसे में वहां पर पुलिस-प्रशासन और सुरक्षाबलों की पहुंच बहुत कम रहती है। नक्सली मानते हैं कि उनके प्रभाव वाले इलाकों में उनकी 'जनताना सरकार' यानी 'जनता की सरकार' है। इसे माओवादी अपने शासन के मॉडल के रूप में पेश करते हैं। इसके अलावा नक्सली फैसला करने के लिए अदालतें भी लगाते हैं, जिसे 'जनताना अदालत' कहते हैं।
कैसे छत्तीसगढ़ पहुंचा नक्सलवाद?
नक्सलवाद के मूल विचार का जन्मदाता चीन के शासक माओ जेदांग को माना जाता है, जिन्होंने गुरिल्ला वार के जरिए सीमांत गांवों में दहशत कायम की और फिर सत्ता तक पहुंच गए। चीन में शुरू हुई इस विचारधारा से भारत भी नहीं बच सका। पहले बंगाल, फिर बिहार और झारखंड इसकी चपेट में आया। बाद में नक्सलवाद छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में भी फैल गया। हालांकि छत्तीसगढ़ मौजूदा वक्त में नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, यहां पर कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां पर आम आदमी जाने से डरता है। साथ ही जब वो नक्सलियों का फरमान नहीं मानता तो उसका फैसला 'जनताना अदालत' करती है।
इस बार कैसे हुआ था हमला?
सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो, बस्तर बटालियन और जिला रिजर्व गार्ड इस ऑपरेशन में शामिल थे। जब उन्होंने सुकमा और बीजापुर के जंगलों में एंट्री की नक्सलियों ने कोई हरकत नहीं की। इस बीच एक टीम पर 400 से ज्यादा नक्सलियों ने U फॉर्मेशन में हमला किया। इस फॉर्मेशन में तीन तरफ से गोलाबारी की गई, जिससे सुरक्षाबलों को इतना नुकसान हुआ। इस घटना में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के 14 हथियार और 2000 से ज्यादा कारतूस लूटे हैं।
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