बिहार: NDA में सीटों की अदला-बदली शुरू, इन चार पर फंसा पेंच
Recommended Video
नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर एनडीए में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के बीच अभी तक किसी भी फार्मूले पर सहमति नहीं बन सकी है। ताजा खबर यह है कि बीजेपी ने जदयू से कह दिया है कि वह पहले लोजपा के साथ सीटों के तालमेल पर बात कर ले, क्योंकि नीतीश कुमार जो सीटें मांग रहे हैं, उनमें चार सीटें लोजपा के खाते की हैं। जदयू और लोजपा के बीच जिन चार सीटों पर बात होनी है, उनमें नालंदा, मुंगेर, वैशाली और खगडि़या शामिल हैं। बात सिर्फ इन चार सीटों तक ही नहीं है, बिहार में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के सामने चुनौतियां औरर भी हैं।
सीट बंटवारे में अमित शाह के लिए राहत की बात सिर्फ एक, दिक्कतें बहुत
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए बिहार में सीट बंटवारे को लेकर सबसे राहत की बात यह है कि लोजपा अभी तक किसी सीट पर अड़ी नहीं है। लोजपा नालंदा, मुंगेर, वैशाली और खगडि़या लोकसभा सीटें जदयू को देने को तैयार हो सकती है। बदले में नीतीश कुमार उन्हें कौन सी चार सीटें देंगे, यह सवाल ज्यादा कठिन है। यही कारण है कि बीजेपी ने जदयू-लोजपा से कहा है कि वे आपस में बात करके समस्या का समाधान निकालें। यहां पर सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सिर्फ इन्हीं चार सीटों पर पेंच फंसा है? क्या कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा यह सवाल हल हो चुका है? इसक जवाब तो अभी किसी पत्रकार के पास नहीं है। हां, एनडीए के घटक दलों के पास हो सकता है, लेकिन उनके बयान देखकर ऐसा नहीं लगता है कि बिहार में कौन कितनी लोकसभा सीटों पर लड़ेगा इस सवाल का हल अब तक निकला।
ये हो सकता है बिहार में एनडीए का संभावित सीट समीकरण
मीडिया में अब तक जो संभावित समीकरण सामने आए हैं, उनके मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने बिहार की 40 सीटों में 20 अपने लिए रखी हैं। जदयू को 13 लोकसभा सीटें, रामविलास पासवान की एलजेपी को 5 सीटों और उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को दो सीटों से समझौता करना होगा। इस संभावित समीकरण में सीटों की अदला-बदली भी शामिल है। मतलब जदयू को अगर कोई ऐसी सीट चाहिए, जो पिछली बार लोजपा के पास थी तो ये दल आपस में बात करेंगे। अब ऐसा ही हो रहा है, जदयू और लोजपा के बीच सीट बंटवारे पर बात हो रही है। तो क्या यह समझा जाए कि एनडीए अब सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझने की ओर बढ़ रहा है।
तो जेडीयू, बीजेपी, लोजपा के बीच बन गई बात
किसी भी गठबंधन में जब सीट बंटवारे पर बात होती है तो सबसे पहले चर्चा सीटों की संख्या पर होती है। इसके बाद विचार होता है कि किस पार्टी के, कहां से जीतने की संभावना है और उसी के अनुसार सीट बंटवारा किया जाता है। अब जहां तक सीट बंटवारे का प्रश्न है तो कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, इससे इतर देखें तो उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के साथ एनडीए में सबसे कम संवाद हो रहा है। उसे सिर्फ दो सीटें ऑफर की गई हैं। उपेंद्र कुशवाहा कांग्रेस-आरजेडी के भी संपर्क में है। इस चर्चा से एक बात तो साफ है कि उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में कोई भाव नहीं दे रहा है। इसमें शक नहीं कि वह अन्य संभावनाएं तलाश रहे हैं। सीट बंटवारे की चर्चा लोजपा, जदयू और बीजेपी के बीच ही सबसे ज्यादा चल रही है। तो क्या इन तीनों दलों में सहमति लगभग बन गई है।
क्या अमित शाह ने मान ली है नीतीश कुमार की 17 सीटों की मांग
नीतीश कुमार कुछ दिनों पहले सम्मानजनक समझौते की बात कही थी, लेकिन जल्द ही यू-टर्न मारते कहा कि 17 सीटों से कम उन्हें मंजूर नहीं। लोजपा-जदयू के बीच सीटों की अदला-बदली की बात हो रही है। मतलब बीजेपी से उसे सकारात्मक संकेत मिला है, तभी बात सीटों की अदला-बदली तक पहुंची। ऐसे में जिज्ञासा इस बात को लेकर है कि क्या नीतीश की बात मानकर अमित शाह ने उन्हें 17 सीटें दे दी हैं। या नीतीश ने अमित शाह की बात मानकर 13 सीटों पर हामी भर दी है या एक-दो सीटों को लेकर कुछ ऊपर-नीचे हुआ है।