मोदी से पहले भी हो चुका है ऐसा बोल्ड फैसला, जानिए तब कौन थे पीएम?
मोरारजी देसाई सरकार ने 1978 में लगाई थी बड़े नोटों पर पाबंदी। उस समय भी मची थी अफरा-तफरी।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 रुपए के नोटों पर पाबंदी लगाई तो पूरा देश चौंक गया और लोग घबरा गए।
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एटीएम के आगे लंबी लाइन लग गई और बाजार में अफरा-तफरी मच गई। ठीक ऐसा ही फैसला देश में पहले भी लिया जा चुका है। आइए आपको बताते हैं कि तब क्या-क्या हुआ था?
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1978 में जनता सरकार ने लगाया था नोटों पर बैन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही तरह 1978 में तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई ने 100 से ऊपर को नोटों पर बैन लगाकर सबको चौंका दिया था।
देश में इमरजेंसी हटने के कुछ महीनों बाद मोरारजी देसाई सरकार ने शासन संभालते ही 1000,5000 और 10,000 रुपए के नोटों के चलन पर पाबंदी लगा दी। जनता सरकार ने भी काले धन की रोकथाम के उपाय के तौर पर ऐसा किया था जैसा कि अब मोदी सरकार ने किया है।
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1978 में उन दिनों के गवाह लोग बताते हैं कि तब देसाई सरकार की घोषणा के बाद लोग घबरा गए थे और बैंकों में अफरा-तफरी मच गई थी। सरकार ने नोट बदलने का समय दिया था।
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उस समय 1000 के नोट का था बड़ा मोल?
1978 में 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों पर पाबंदी का लोगों पर बड़ा असर हुआ था क्योंकि उस समय इन नोटों का बड़ा मोल था।
1000 रुपए में उस समय मुंबई शहर में 5 स्क्वैयर फीट की जमीन खरीदी जा सकती थी जबकि 2016 में 1000 रुपए में एक स्क्वैयर फीट का 100वां हिस्सा भी खरीद पाना मुश्किल है।
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बाजार में बिके थे 1000 रुपए के नोट
जनता सरकार के उस फैसले के बाद के माहौल को दिल्ली के सीनियर वकील अनिल हर्ष ने अपनी आंखों से देखा था।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय जिनके पास बेनामी संपत्ति के तौर पर घर में नोट पड़े थे वह इसे बैंक में जमा नहीं करना चाहते थे। अगर वे ऐसा करते तो इसमें फंसने का डर था इसलिए उन्होने कम कीमत पर नोटों को बेचना शुरू कर दिया।
वकील अनिल हर्ष ने कहा, 'क्रॉफोर्ड मार्केट और जावेरी बाजार में लोग 1000 रुपए के नोट 300 रुपए में बेच रहे थे।'
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इनकम टैक्स अधिकारियों को बैंक देते थे सूचना
बैंक में पुराने नोटों को बदलने से पहले लोगों से फॉर्म भरवाया जाता था। अगर कोई ज्यादा मात्रा मात्रा में नोट लेकर आता था तो उसके बारे में बैंक अधिकारी इनकम टैक्स अधिकारियों को सूचना दे देते थे।
फिर आईटी अधिकारी से पूछताछ में कोई आमदनी का स्रोत नहीं बता पाता था तो उस पर उस समय के हिसाब से पेनल्टी लगाकर टैक्स वसूला जाता था जो 90 प्रतिशत तक होता था।
1978 में नोट बदलने का काम आसानी से हो गया था
उस जमाने के गवाह रहे एक सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट का कहना है कि 1978 में पुराने नोटों को बदलने का काम बिना किसी विशेष परेशानी के हो गया था क्योंकि 1000 रुपए के बडे़ नोट आम आदमी के पास नहीं थे। आज 500 और 1000 के नोट आम आदमी के पास हैं।
एक और सीनियर एडवोकेट का कहना है कि 1978 में लोग नोटों को बदलने के लिए बैग में कैश भरकर बैंक आते थे। काले धन पर रोक लगाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला सही है लेकिन विचार पुराना है।
ब्रिटिश सरकार ने जारी किए थे 10,000 तक के नोट
1938 में ब्रिटिश सरकार ने 10,000 रुपए तक के नोट छापे थे। 1954 में इन नोटों को बदला गया और इतने ही मूल्य वाले नए नोट लाए गए। मोरारजी देसाई ने इन नोटों को खत्म कर दिया।
1987 में 500 के नोट फिर चलाए गए। 2000 के नवंबर में 1000 रुपए के नोट को सरकार ने फिर बाजार में उतारा। अब नरेंद्र मोदी ने 1000 रुपए के नोट को खत्म कर 2000 रुपए के नोट चलाने का फैसला लिया है। 500 रुपए का भी नया नोट चलाया जाएगा।
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