Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश सुन्नी वक्फ बोर्ड के जफरयाब जिलानी
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन पर अपना एतिहासिक फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी खासे निराश हैं। उनका कहना है कि अब वह फैसले के बाद आगे की कार्रवाई पर फैसला करेंगे। पांच जजों का संवैधानिक पीठ जिसकी अगुवाई मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई कर रहे थे, उसकी ओर से विवादित जमीन राम जन्मभूमि को देने का आदेश दिया गया।
वक्फ बोर्ड का दावा सुप्रीम कोर्ट में खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दूसरे पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन अयोध्या में कहीं भी देने का आदेश भी दिया है। जिलानी का कहना है कि जो पांच एकड़ जमीन बोर्ड को देने का आदेश दिया गया है, उसकी कोई कीमत हमारे लिए नहीं है। बोर्ड की तरफ से साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। सन् 1946 में ट्रायल कोर्ट की तरफ से फैसला दिया गया था कि बाबरी मस्जिद सुन्नी की प्रॉपर्टी है। बोर्ड की तरफ से हमेशा दावा किया जाता रहा है कि यह मस्जिद मुगल बादशाह बाबर के शिया कमांडर मीर बकी की थी जिन्होंने इस मस्जिद का निर्माण कराया था न बाबर ने जो कि एक सुन्नी थे। शिया वक्फ बोर्ड भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में पक्षकार था और साल 2017 में सन् 1946 के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के इस दावे को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि मस्जिद का निर्माण मीर बकी ने ही कराया था।