अयोध्या विवाद पर कोर्ट के फैसले पर बोले पूर्व जज, अल्पसंख्यकों के साथ गलत हुआ
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके गांगुली ने इस फैसले पर असंतोष जाहिर किया है। जस्टिस गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसपर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के साथ गलत किया गया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए देने का आदेश दिया, साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या के किसी प्रमुख स्थल पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश सुनाया था।
अल्पसंख्यकों के साथ गलत हुआ
जस्टिस गांगुली ने कहा कि मैं इस फैसले से हक्का-बक्का और परेशान हूं। संविधान हर किसी को यह अधिकार देता है, हर किसी के साथ न्याय होना चाहिए। लेकिन इस मामले में अल्पसंख्यकों के साथ न्याय नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि तोड़फोड़ करके मस्जिद को गिराया गया था। यहां तक कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा है कि नियमों का उल्लंघन है। ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि आखिर किसके साथ गलत किया गया, अल्पसंख्यकों के साथ गलत किया गया है।
ओवैसी ने अस्वीकार किया था फैसला
जस्टिस गांगुली के अलावा असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है लेकिन यह अचूक नहीं है। 'भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे। हमें जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए।' औवैसी ने कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने भी कहा कि वे इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं।'
ओवैसी पर पलटवार
ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है। अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो। मस्जिद अभी भी होती। नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का पालन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती। ओवैसी के इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता सलमान निजामी ने पलटवार करते हुए करारा जवाब दिया है।निजामी ने ओवैसी के बयान पर कहा, 'पांच एकड़ जमीन को अस्वीकार क्यों किया जाए? ओवैसी 20 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों के ठेकेदार नहीं हैं। हमें 'मस्जिद' का निर्माण करना चाहिए, और साथ में एक ऐसा शैक्षिक संस्थान भी बनाना चाहिए, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों एक साथ मिलकर पढ़ाई कर सकें। इस मामले में किसी को भी निराश नहीं होना चाहिए। नफरत और बुराई के मंसूबों को केवल सकारात्मक सोच और ऊर्जा से ही हराया जा सकता है। मंदिर की घंटियों की आवाज़ और उसका कंपन, अज़ान के साथ...यही मेरे भारत की खूबसूरती है।