अयोध्या विवाद: पकड़ा गया सिब्बल का झूठ, सामने आए दस्तावेज
नई दिल्ली। अयोध्या मामले में जिस तरह से 5 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई हुई उसके बाद एक बार फिर से इस पूरे मामले में विवाद खड़ा हो गया है। एक तरफ जहां कोर्ट में सिब्बल ने मामले का फैसला 2019 से पहले नहीं दिए जाने की पेशकश की तो दूसरी तरफ भाजपा ने उनपर जमकर हमला बोलना शुरू कर दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस राम मंदिर का निर्माण नहीं चाहती है, वह सिब्बल के बयान पर अपना रुख साफ करे, यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर इस मुद्दे को लेकर निशाना साधा। लेकिन इस पूरे प्रकरण में तब नया मोड़ आ गया जब सिब्बल ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि उन्होंने कहा कि मैंने सुन्नी वक्फ बोर्ड का वकील नहीं हूं। लेकिन सिब्बल का यह बयान उनपर ही भारी पड़ गया है।
झूठ पे झूठ, झूठ पे झूठ
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया पर कोर्ट के उन दस्तावेजों को साझा किया है जिसमे साफ लिखा है कि कपिल सिब्बल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील थे। गिरिराज सिंह ने लिखा है कि झूठ पे झूठ और झूठ ..फिर झूठ, कांग्रेस में गिरने की कोई हद नहीं है ..जितना नीचे जाओ उतना कम है । पहले राम मंदिर निर्माण में बाधक बना ...फिर जब इनका चेहरा बेनक़ाब हुआ तो सिब्बल जी ने कहा वो सुन्नी वक़्फ़ के लिए वक़ील नहीं थे। अब कोर्ट ऑर्डर में सिब्बल जी का नाम साफ़ साफ़ लिखा है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पल्ला झाड़ा
सिब्बल की कोर्ट में दी गई दलील पर से खुद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना पल्ला झाड़ लिया था, बोर्ड ने कहा था कि हम सिब्बल के दलील से सहमत नहीं है, हम चाहते हैं कि अयोध्या विवाद का जल्द से जल्द निपटारा हो। खुद पीएम मोदी ने वक्फ बोर्ड को इस बात की बधाई दी थी कि उसने सिब्बल की पैरवी से किनारा कर लिया है। लेकिन पीएम पर हमला बोलते हुए सिब्बल ने कहा था कि पीएम को बयान देने से पहले अपने तथ्यों को चेक करना चाहिए था, मैंने कभी भी सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी नहीं की है, मैं पीएम से अपील करता हूं कि वह अगली बार थोड़ा और सजग रहे।
यूपी सुन्नी बोर्ड ने सिब्बल को वकील मानने से इनकार किया
वहीं इस पूरे विवाद के बाद यूपी सुन्नी बोर्ड के चेयरमैन जुफर अहमद फारुकी ने कहा कि सिब्बल हमारे एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड नहीं हैं, वह इस मामले में एक प्राइवेट पार्टी के वकील हैं, हमारे एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड शाहिद हुसैन रिजवी हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड का कोई भी सदस्य यह नहीं चाहता है कि मामले का फैसला जून 2019 में हो, हमे इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि कोई भी हमारा वकील इस तरह की दलील के साथ सामने आएगा।
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