स्वदेशी मुसलमानों ने इस बात को माना कि जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए एक खतरा है- असम सीएम
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि यदि असम को देश के शीर्ष पांच राज्यों में से एक बनना है तो जनसंख्या विस्फोट एक खतरा है जिससे निपटने की जरूरत है।
दिसपुर, 4 जुलाई। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि यदि असम को देश के शीर्ष पांच राज्यों में से एक बनना है तो जनसंख्या विस्फोट एक खतरा है जिससे निपटने की जरूरत है। विभिन्न क्षेत्रों की 150 से अधिक प्रमुख स्वदेशी मुस्लिम हस्तियों से मुलाकात के बाद गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सरमा ने आगे कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि असम के कुछ हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए एक वास्तविक खतरा है।
'आलाप अलोचना-धार्मिक अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण' शीर्षक नाम से आयोजित हुई इस बैठक का आयोजन विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मुद्दों और समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा करने के लिए किया गया था। बैठक के बाद सरमा ने कहा कि हमने ऐसे कई मुद्दों पर चर्चा की जो अल्पसंख्यों की तरक्की में बाधा बन रहे हैं और उन्होंने माना कि असम के कई हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है और आर्थिक विकास में बाधा के लिहाज से यह खतरा ज्यादा बड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार असम की 3.12 करोड़ की जनसंख्या में 34.5 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिमों की है।
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समुदाय द्वारा सामना किए जा रहे विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए, राज्य में स्वदेशी मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को शामिल करते हुए आठ उप-समूह बनाए जाएंगे। उप-समूह स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या स्थिरीकरण, सांस्कृतिक पहचान, वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
सरमा ने कहा कि प्रत्येक समिति तीन महीने के भीतर अपने सौंपे गए मामलों पर सिफारिशें देगी। उसके बाद, हम अगले पांच वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए यहां फिर से इकट्ठा होंगे।
अपने एक बयान को लेकर हुई थी आलोचना
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में हिमंत बिस्व सरमा को मुस्लिम समुदाय पर की गई एक टिप्पणी के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि अप्रवासी मुस्लिम समुदाय सभ्य परिवार नियोजन मानदंडों को अपनाता है तो असम में कई सामाजिक बुराइयों को दूर किया जा सकता है।
सीएम ने कहा कि गरीबी को समाप्त करने के लिए मुस्लिम महिलाओं का शिक्षित होना और आबादी पर लगाम लगाना जरूरी है। मैं उनसे साथ काम करने की अपील करता हूं। हम उन सब के लिए यहां हैं, उन्हें शिक्षित करने और उनकी गरीबी दूर करने के लिए। लेकिन जनसंख्या पर लगाम लगाए बिना गरीबी को दूर नहीं किया जा सकता है।
रविवार की बैठक में जहां बुद्धिजीवियों, लेखकों, डॉक्टरों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, व्याख्याताओं, इतिहासकारों और संगीतकारों ने भाग लिया, वहीं अगले दौर की बैठकें अल्पसंख्यक समुदाय के राजनेताओं और छात्र संगठनों के साथ होंगी। सरमा ने कहा कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि स्वदेशी असमिया मुसलमानों की विशिष्टता को संरक्षित किया जाना चाहिए।
बैठक में अल्पसंख्यक एवं विकास विभाग के कल्याण मंत्री चंद्र मोहन पटोवरी, शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगू और सीएम के विधायक एवं राजनीतिक सचिव जयंत मल्ला बरुआ भी मौजूद थे। सरमा ने कहा कि कुछ दिनों में वह इसी तरह की चर्चा करने के लिए असम के बंगाली मूल के मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से मिलेंगे। इन दो समुदायों के बीच भाषा और संस्कृति में एक अलग अंतर है। हम दोनों की पहचान का सम्मान करते हैं।