'कश्मीर में नए साल का जश्न हिंदुस्तान की 'बेशर्म' संस्कृति की झलक'
श्रीनगर। कश्मीर में एक बार फिर से हुर्रियत की नेता और दुख्तेतरान-ए-मिलात की चेयरपर्सन असिया अंद्राबी फिर से खबरों में है। आसिया ने गुलमर्ग के टूरिस्ट रेसॉर्ट्स में होने वाले न्यू ईयर सेलिब्रेशन का विरोध किया है।
आसिया का कहना है कि इस तरह के प्रोग्राम घाटी में आरएसएस के एजेंडा का हिस्सा हैं। कश्मीर में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन शर्मनाक है और यह भारत की बेहूदा संस्कृति को दर्शाता है।
आसिया के शब्दों में, 'इस तरह के कार्यक्रम कश्मीर का रिवाज नहीं हैं।' अंद्राबी ने गुलमर्ग में 31 दिसंबर को 'कश्मीरियत' नामक ग्रुप की ओर से आयोजित कार्यक्रमों का विरोध किया है।
अंद्राबी के मुताबिक यह कार्यक्रम इंग्लिश और उर्दू अखबारों और न्यूज चैनलों की ओर से आयोजित हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों में संगीत, कला और हास्य के नाम पर बॉलीवुड के कुछ 'बेशर्म' कलाकारों को बुलाया गया है और कश्मीरियत के नाम पर इसकी ब्रांडिंग की गई है।
आसिया का कहना है कि कश्मीर की वास्तविक संस्कृति इस्लाम से जुड़ी हुई है। ऐसे में इस तरह के समारोह इसका हिस्सा नहीं हो सकते हैं। इस तरह के कार्यक्रम ब्राह्मणों की संस्कृति का हिस्सा हैं और उनका मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है।
अंद्राबी ने कश्मीर के लोगों से इस तरह के कार्यक्रमों से हर हाल में दूर रहने को कहा है।