772 साल पुराने सूर्य मंदिर को बचाने का प्रयास, 119 साल पहले ब्रिटिश सरकार ने भराई थी बालू
नई दिल्ली, 09 सितंबर। भारत में उपलब्ध प्राचीन में मंदिरों में कोणार्क का सूर्य मंदिर प्रमुख है। प्राकृतिक आपदाओं के बीच अडिग रहने वाला इस मंदिर सुरक्षा के लिए एएसआई ने अहम निर्णय लिया है। मंदिर के जगमोहन यानि गर्भगृह अब रेत हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एएसआई ने इसके लिए तीन साल का लक्ष्य रखा है।
बदलेगा मंदिर का आकार
कोणार्क का सूर्य मंदिर का अब आकार बदल जाएगा। मंदिर का जगमोहन यानी गर्भगृह अब बालू मुक्त हो जाएगा। 119 साल के लंबे अंतराल के बाद अब ऐतिहासिक धरोहर से रेत हटाने का काम शुरू हो चुका है।गुरुवार को एएसआई के कार्य शुरू होने से पहले गुरुवार को कोणार्क में विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के परिसर में भूमि पूजन समारोह आयोजित किया गया।
गर्भगृह से 3 साल में हटेगी रेत
पहले चरण में सूर्य मंदिर के गर्भगृह से बालू निकालने के लिए एक निजी कंपनी बीडीआर कंस्ट्रक्शन संस्थान मेकेनिकल वर्किंग प्लेटफार्म पर कार्य करेगी। साइट पर लिफ्ट और ट्रॉली आदि व्यवस्था की जाएगी। मंदिर परिसर से बालू हटाने का कार्य 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
साल 1903 में ब्रिटिश सरकार ने भराई बालू
रिपोर्ट्स के अनुसार, 1903 में मंदिर को कठोर मौसम की स्थिति से बचाने के लिए गर्भगृह समेत सूर्य मंदिर के तीन दरवाजों को रेत से सील कर दिया गया था। गर्भगृह और सूर्य मंदिर के तीन दरवाजों सहित जगमोहन को संरक्षित करने के लिए मंदिर परिसर में विशेषज्ञों के साथ कई बार सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
गर्भगृह को नुकसान से बचाने का आग्रह
मंदिर के गर्भगृह को लेकर रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि मंदिर के गर्भगृह से रेत हटाने को लेकर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और सुझावों की कई बार एएसआई अधिकारियों ने अनदेखी की। हालांकि हाल ही में कई संबंधित अधिकारियों ने जगमोहन के संरक्षण पर चिंता व्यक्त की है और इसे और नुकसान से बचाने का आग्रह किया है।
जगमोहन की रक्षा के लिए खास प्रबंध
भुवनेश्वर सर्किल के एएसआई अधीक्षक अरुण कुमार मल्लिक ने ग्राउंडब्रेकिंग समारोह के पूरा होने के बाद कहा था, 'एएसआई द्वारा पूरी तरह से जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा कि मंदिर से रेत को सुरक्षित रूप से कैसे हटाया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि जगमोहन की रक्षा और संरक्षण के लिए मंदिर के पश्चिमी द्वार में एक गड्ढा खोदा जाएगा और मंदिर के गर्भगृह सहित तीनों द्वारों से बालू निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से सूर्य मंदिर के संरक्षण की मांग की जा रही है। विशेषज्ञ दल मंदिर के अंदर से रेत निकालने का कार्य किया जाएगा।
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