क्या होता है लाइफ सपोर्ट सिस्टम, जिसकी निगरानी में हैं अरुण जेटली
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नई दिल्ली। पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की हालत गंभीर है और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। अरुण जेटली से मिलने बीजेपी के कई नेता पहुंच रहे हैं। बीजेपी के अलावा अन्य दलों के नेताओं ने भी एम्स जाकर उनका हाल जाना है। लाइफ सपोर्ट सिस्टम क्या है, किन परिस्थितियों में मरीज को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा जाता है और इस सिस्टम से मरीज के बचने की कितनी संभावनाएं होती हैं। जानिए, विशेषज्ञ इसके बारे में क्या कहते हैं।
लाइफ सपोर्ट सिस्टम ने बचाई लाखों जिंदगियां
लाइफ सपोर्ट सिस्टम ने इंसानी जान बचाने की संभावनाओं को नया आयाम दिया है। इस सिस्टम के बारे में प्रेसीडेंट हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ केके अग्रवाल कहते हैं कि ये वो खास तकनीक है जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों को जीवन देने का काम किया है। मुश्किल से मुश्किल हालात में जब मरीजों के शरीर के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया, फिर भी उनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम की मदद से उनको रिकवर किया गया। हालांकि, डॉक्टर केके अग्रवाल कहते हैं कि इससे वापस लौटना इतना आसान भी नहीं है।
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हर अंग की निगरानी करता है लाइफ सपोर्ट सिस्टम
डॉक्टर केके अग्रवाल ने बताया कि जैसे मरीज का ब्लड प्रेशर कम होने पर बैलून पंप से सांस देते हैं लेकिन फिर भी सांस नहीं चल रही तो वेंटिलेटर पर रखा जाता है। वहीं, अगर वेंटिलेटर भी काम नहीं कर रहा है तो मुश्किल बढ़ जाती है और मरीज की जान को खतरा और बढ़ जाता है। ऐसे में मरीज को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा जाता है, ये एक प्रकार से शरीर के हर अंग की निगरानी के आधार पर जीवन-मौत से जूझ रहे व्यक्ति को सांस लेने में मदद करता है।
कब किया जाता है इसका इस्तेमाल
शरीर के तीन हिस्से हृदय, मस्तिष्क या फेंफड़ों की स्थिति गंभीर हो जाती है तब मरीज के लिए इस सिस्टम की जरूरत पड़ती है। सीओपीडी या सिस्टिक फाइब्रोसिस, ड्रग ओवरडोज, ब्लड क्लॉट, फेफड़ों में इंजरी या अन्य बीमारियों के कारण फेफड़े बहुत कम साथ देते हैं। इन परिस्थितियों में इस सिस्टम की मदद से फेफड़ों को सपोर्ट देने का काम किया जाता है। कभी-कभी हार्ट अटैक होने पर भी लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर मरीज को रखा जाता है, ब्रेन स्ट्रोक या सिर पर चोट लगने पर भी ये सिस्टम मरीज के लिए मददगार साबित होता है।
लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं जेटली
डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि लाइफ सपोर्ट सिस्टम के जरिए मरीज को बचाया जा सकता है लेकिन जिस तरह पूर्व वित्तमंत्री जेटली कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं, इस हालात में मरीज की रिकवरी मुश्किल होती है। दिल के मामले में सबसे पहले सीपीआर की मदद ली जाती है जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा को पूरे शरीर में पहुंचाया जा सके। इस सिस्टम की मदद से दिल को दवाओं और अन्य प्रणालियों से काम करने के लिए तैयार किया जाता है। देखा जाए तो डायलिसिस भी लाइफ सपोर्ट सिस्टम का खास अंग कहा जाएगा। इसके जरिए किडनी को मदद दी जाती है। जब 80 फीसदी तक किडनी काम करना बंद कर देती है तो शरीर की विषाक्तता को रोकने में डायलिसिस की बड़ी भूमिका होती है। बता दें कि पूर्व वित्तमंत्री को अभी लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है और उनको बचाने की कोशिशें जारी हैं।