उद्धव ठाकरे के अलावा सुप्रिया सुले भी क्यों बालासाहेब और मां साहेब को याद कर इमोशनल हैं?
नई दिल्ली- ठाकरे परिवार के पहले सदस्य की ताजपोशी हो रही है। जाहिर है कि उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनना ठाकरे परिवार के लिए बेहद भावुक क्षण है। 6 दशकों तक महाराष्ट्र की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाले परिवार के सदस्य का मुख्यमंत्री बनना जाहिर है कि शिवसेना के लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है। लेकिन, कुछ दिन पहले तक शिवसेना और ठाकरे परिवार की राजनीतिक विरोधी रहीं एनसीपी नेता सुप्रिया सुले भी इस मौके पर बहुत ही भावुक हो उठीं हैं। उन्होंने ठाकरे परिवार से अपने रिश्तों के बारे में कुछ ऐसी बातें बताई हैं, जो किसी का भी दिल छू ले सकता है। उन्होंने इस ऐतिहासिक मौके पर उद्धव को उनके माता-पिता की याद दिलाई है तो उनसे जुड़ी खुद खुद की यादों को भी भावुक अंदाज में सामने लाने की कोशिश की है।
मां साहेब-बाला साहेब आपको आज बहुत याद कर रहे हैं- सुप्रिया
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने शिवसेना प्रमुख को शपथग्रहण के मौके पर उनके दिवंगत माता-पिता की याद दिलाई है। सुले ने कहा है कि इस दिन बालासाहेब ठाकरे और मीनाताई ठाकरे (उद्धव की मां) को यहां होना चाहिए था। एनसीपी चीफ शरद पवार की बेटी और पार्टी नेता सुप्रिया सुले ने इस मौके पर उद्धव के माता-पिता से अपने गहरे रिश्ते को भी बेहद ही भावुकता के साथ याद किया है। बता दें कि बाल ठाकरे और शरद पवार राजनीति में एक-दूसरे के कट्टर विरोधी थे, लेकिन सियासत से दूर उनके संबंध बहुत ही अच्छे थे और सुप्रिया ने उसे और अच्छे ढंग से जाहिर करने की कोशिश की है।
मुझे बेटी से बढ़कर प्यार और स्नेह दिया- सुप्रिया
उद्धव की ताजपोशी से पहले किए अपने ट्वीट में सुप्रिया ने बाल ठाकरे और उनकी पत्नी को याद करते हुए लिखा है कि वो दोनों उन्हें अपनी बेटी से भी बढ़कर प्यार करते थे। सुले के मुताबिक उद्धव के शपथग्रहण के मौके पर उन्हें उनकी बहुत याद आ रही है। सुले ने ट्विटर पर लिखा है, "मां साहेब और बालासाहेब- आज आपको बहुत याद कर रहे हैं। दोनों को आज यहां पर होना चाहिए था। उन्होंने मुझे एक बेटी से बढ़कर प्यार और स्नेह दिया! मेरे जीवन में उनकी भूमिका सदा ही खास और यादगार रहेगी!" बता दें कि उद्धव ठाकरे की मां मीनाताई ठाकरे को मां साहेब के नाम से भी जानते हैं।
सुप्रिया के खिलाफ बाल ठाकरे ने नहीं दिया था उम्मीदवार
ठाकरे और पवार के बीच सार्वजनिक तौर पर सियासी दूरी रही है। लेकिन, दोनों परिवारों के बीच बहुत ही करीबी रिश्ता रहा है। ऐसा कई मौकों पर देखने को भी मिला है। 2006 में जब शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया को राज्यसभा चुनाव में उतारा था तो शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उनके खिलाफ पार्टी का उम्मीदवार ही नहीं दिया था। अभी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जिस तरह से बीजेपी का साथ छोड़कर महा विकास अघाड़ी का हिस्सा बने हैं, उसमें भी सबसे बड़ी भूमिक शरद पवार और सुप्रिया सुले ने ही निभाई है। अगर पवार बीच में नहीं पड़े होते तो कांग्रेस को शिवसेना के साथ लाना मुमकिन नहीं थी। उन्होंने ही दोनों परस्पर विरोधी विचारधाराओं का मिलन कराया है और फिलहाल ठाकरे और पवार परिवार के बीच जिस तरह की सियासी नजदीकियां नजर आ रही हैं, उससे लगता कि अगर गठबंधन में किसी तरह की समस्या भी आएगी तो ये आपस में मिलकर आसानी से सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं।
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