Andhra Pradesh Veligonda Project के तहत करीब 5 लाख एकड़ में खेती, जल्द साकार होगा सपना
आंध्र प्रदेश सरकार की वेलिगोंडा परियोजना खेती के लिए काफी अहम है। प्रकाशम जिले में जिला प्रशासन सितंबर तक प्रोजेक्ट का ट्रायल रन करने की तैयारी में है।
Andhra Pradesh Veligonda Project सितंबर तक शुरू हो सकता है। इससे करीब 5 लाख एकड़ में खेती होगी। परियोजना मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी ने 2005 में शुरू की थी। 2009 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम की अचानक मृत्यु के समय तक परियोजना का काम 50 प्रतिशत से अधिक पूरा हो गया था। हालांकि, बाद की सरकारों पर जरूरी धन नहीं देने का आरोप लगा, जिससे परियोजना पूरी नहीं की जा सकी।
वेलिगोंडा परियोजना पर इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जिन ठेकेदारों को परियोजना मिली थी, वे भी दुर्गम भू-भाग में सुरंग बनाने में कठिनाइयों के कारण परेशान थे। पहले फेज में 18.787 किमी लंबी सुरंग- I साल 2014 तक 13.6 किमी बनकर तैयार हो चुकी थी। हालांकि, लगभग 5 किमी की खुदाई बाकी है, जिसके बाद ही परियोजना को चालू किया जा सकेगा। सिंचाई विभाग 2014-19 के बीच लगभग 2-किमी ही खुदाई पूरी हो सकी है।
इस खबर के मुताबिक वाईएस जगन मोहन रेड्डी जब मुख्यमंत्री बने तो काम में तेजी आई। बागडोर संभालने के बाद उन्होंने अधिकारियों को वेलिगोंडा को फास्ट ट्रैक पर रखने का निर्देश दिया। उनके पुत्र जगन मोहन रेड्डी और वर्तमान राज्य सरकार ने पिछले ठेकेदार को हटाकर 2021 में प्रोजेक्ट मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईएल) को सौंप दिया।
प्रभारी मुख्य अभियंता (पुला सुब्बैया वेलिगोंडा परियोजना), अबू थेलीम सौदगर ने कहा, मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सितंबर तक परियोजना को पूरा करने की डेडलाइन तय की है। हम निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए दृढ़ हैं।" सिंचाई विभाग ने अगले मानसून सीजन तक पानी को स्टोर करने के लिए एक साथ हेड रेगुलेटर का काम शुरू किया था। बाढ़ के मौसम के दौरान श्रीशैलम के बैकवाटर से लगभग 45 टीएमसी पानी लेने का डिजाइन इस परियोजना में बनाया गया है।
गोट्टीपाडिया और सनकेसुला के बीच की खाई को पहले ही भर दिया गया है। श्रीशैलम परियोजना के बैकवाटर में बने हेड रेगुलेटर से पानी छोड़ा जाएगा। इस बीच, जिला कलेक्टर ए एस दिनेश कुमार ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि परियोजना का काम पूरा होने से पहले पुनर्वास और पुनर्स्थापन कार्यों में तेजी लाने के लिए 982 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाए।
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