क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सुषमा स्‍वराज का चुनावी संन्‍यास! अब गेंद मोदी-शाह के पाले में

Google Oneindia News

नई दिल्‍ली। विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। मध्‍य प्रदेश के इंदौर में पत्रकारों से बात करते हुए सुषमा स्‍वराज ने कहा, 'मेरी उम्‍मीदवारी पर पार्टी फैसला करेगी, लेकिन मैंने मन बना लिया है कि अगला लोकसभा नहीं लड़ूंगी।' सुषमा स्‍वराज ने पत्रकारों से यह भी कहा कि उन्‍होंने पार्टी के सामने अपनी इच्‍छा जाहिर भी कर दी है। विदिशा से सांसद सुषमा स्‍वराज की दिसंबर 2016 में किडनी ट्रांस्‍प्‍लांट सर्जरी हुई थी, जिसके बाद से वह दिल्‍ली के बाहर बेहद कम कार्यक्रमों में नजर आती हैं। भाजपा में लालकृष्‍ण आडवाणी युग के दौरान बेहद ताकतवर मानी जानी वाली सुषमा स्‍वराज के चुनावी संन्‍यास के पीछे सिर्फ खराब सेहत ही कारण है या बात कुछ और है? दरअसल, भाजपा में नरेंद्र मोदी-अमित शाह के युग में विदेश मंत्रालय जैसा अहम मंत्रालय संभालने वाली सुषमा स्‍वराज लंबे समय से पार्टी में दरकिनार हैं। चुनावी राजनीति से दूर जाने वाले बयान में खुद सुषमा स्‍वराज ऐसे संकेत दे रही हैं कि जिनसे स्‍पष्‍ट होता है कि भाजपा में 'नया जमाना' उन्‍हें रास नहीं आ रहा है।

सुषमा स्‍वराज ने अपने बयान में कुछ यूं दिए संकेत

सुषमा स्‍वराज ने अपने बयान में कुछ यूं दिए संकेत

इंदौर में पत्रकारों से बात करते हुए जब सुषमा स्‍वराज ने चुनावी राजनीति से दूर जाने का ऐलान किया तो उन्‍होंने दो बातें कहीं। पहली- मेरी उम्‍मीदवारी पर पार्टी को फैसला करना है, लेकिन मैंने अगला चुनाव नहीं लड़ने का मन बना लिया है। मतलब पार्टी चाहेगी तो सुषमा चुनाव लड़ सकती हैं, खुद उनके बयान से जाहिर है कि अंतिम फैसला पार्टी के हाथों में है। स्‍पष्‍ट है कि सुषमा स्‍वराज ने 2019 चुनाव से ठीक पहले गेंद पूरी तरह अमित शाह और नरेंद्र मोदी के पाले में डाल दी है। पार्टी को सुषमा स्‍वराज का स्‍पष्‍ट संकेत है कि मौजूदा फॉरमेट में तो वह राजनीति नहीं कर सकती हैं। एक जमाने में भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में एक मानी जाने वाली सुषमा स्‍वराज मोदी सरकार बनने के बाद से ही पार्टी के कार्यक्रमों, चुनाव अभियानों, यहां तक कि संसद में बड़े मुद्दों पर चर्चा के दौरान भी नजर नहीं आती हैं। भाजपा के सबसे प्रखर वक्‍ताओं में एक सुषमा स्‍वराज आडवाणी युग में सबसे पहले, सबसे मुखर होकर बोलने वाले नेताओं में पहले नंबर पर हुआ करती थीं। चाहे संसद में डिबेट हो या चुनाव रैली, सुषमा स्‍वराज की भाषण शैली अपने आप में चर्चा का विषय रहा करती थीं। मोदी-शाह के दौर में सुषमा स्‍वराज को ऐसे बहुत कम ही मौके मिले, जब वह फ्रंटफुट पर आकर नेतृत्‍व देते हुए दिखी हों। वरना एक जमाने में कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी के सामने सुषमा स्‍वराज ऐसे खड़ी हो गई थीं, मानो विपक्ष का कोई पहाड़। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से ही सुषमा स्‍वराज की पार्टी में स्थिति खराब होती चली गई। यह बात तब सामने आई जब ट्विटर पर सुषमा स्‍वराज को ट्रोल किया गया।

अपनी ही पार्टी के लोगों ने करा दी ट्विटर पर ट्रोलिंग

अपनी ही पार्टी के लोगों ने करा दी ट्विटर पर ट्रोलिंग

2014 में मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनने के बाद से सुषमा स्‍वराज सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हुईं। कभी वीजा को लेकर तो कभी किसी दूसरे देश में किडनैप हुए अपनों को लेकर, लोगों ने सुषमा स्‍वराज से ट्विटर पर मदद मांगी। सुषमा स्‍वराज ने करीब-करीब हर व्‍यक्ति की मदद की। विदेश मंत्री बनने के बाद मोदी सरकार की विदेश नीति में सुषमा स्‍वराज का दखल कम ही माना जाता है, लेकिन सुषमा स्‍वराज के विदेश मंत्री बनने के बाद हर व्‍यक्ति को, मदद मिली। यहां तक पाकिस्‍तानी भी निराश नहीं हुए, पड़ोसी देश से जब भी किसी को इलाज के लिए भारत आना की दरकार हुई तो उसने बिना झिझक सुषमा स्‍वराज का दरवाजा खटखटाया। उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही थी, लेकिन 2018 की शुरुआत में एक अजीब सी घटना हुई। सुषमा स्‍वराज को ट्विटर पर ट्रोल किया गया। कई यूजर्स ने उन्‍हें अपशब्‍द भी कहे। एक हिंदू-मुस्लिम दंपति को पासपोर्ट जारी करने किए जाने के मामले में सुषमा स्‍वराज के खिलाफ ट्वीट की बाढ़ आ गई। दबी जुबान में ये बातें भी सामने आईं कि सुषमा स्‍वराज की ट्रोलिंग के पीछे उनके 'अपने' ही थे। मतलब पार्टी के कुछ वरिष्‍ठ। अब ये तो अंदर की बात है, ठोस सबूत नहीं है, लेकिन बाहर जो दिखा वह भी कम दुर्भाग्‍यपूर्ण नहीं था। ट्रोलिंग के बाद सुषमा स्‍वराज के समर्थन में न तो मोदी सरकार का कोई मंत्री आया, न पार्टी का कोई सीनियर नेता। राजनाथ सिंह ने जरूर बयान दिया, लेकिन वह भी खानापूर्ति करते ही नजर आए।

कभी सोनिया गांधी की टक्‍कर में खड़ी हुई थीं सुषमा स्‍वराज, पीएम पद की दावेदार थीं

कभी सोनिया गांधी की टक्‍कर में खड़ी हुई थीं सुषमा स्‍वराज, पीएम पद की दावेदार थीं

सुषमा स्‍वराज भाजपा की सबसे आक्रामक, मुखर और आडवाणी के बाद प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में गिनी जानी वाली नेता रहीं। 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के राष्‍ट्रीय पटल पर आने से पहले आडवाणी के बाद सुषमा स्‍वराज को ही उनका उत्‍तराधिकारी माना जाता रहा। 1999 लोकसभा चुनाव में सुषमा स्‍वराज ने विपक्षी पार्टी की नंबर एक नेता सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़ा था। 2004 में जब एनडीए को हार मिली और सोनिया गांधी के पीएम बनने की चर्चा होने लगी तब सुषमा स्‍वराज ने बेहद आक्रामक तरीके से विदेशी मूल का मुद्दा देश के सामने रखा था। सुषमा स्‍वराज इस कदर आक्रामक थीं कि उन्‍होंने यहां तक कह दिया था कि अगर सोनिया गांधी पीएम बनीं तो वह संसद सदस्‍यता से इस्‍तीफा देकर सिर मुंडवा लेंगी। जिस प्रकार से सुषमा ने विरोध किया था, उस वजह से सोनिया गांधी चारों ओर से घिर गई थीं। ऐसे आक्रामक तेवर वाली सुषमा स्‍वराज को मोदी सरकार में एक बार भी पुराने तेवरों के साथ नहीं देखा गया। इसमें शक नहीं कि उनकी गिरती सेहत भी इसके पीछे एक कारण रही, लेकिन कारण और भी रहे, पार्टी के भीतर, पर्दे के पीछे कुछ ऐसा रहा, जो सुषमा स्‍वराज को रास नहीं आया या यूं कहें कि रास नहीं आ रहा है।

Comments
English summary
Analysis: sushma swaraj wont contest 2019 lok sabha elections, is Modi Shah Project To Remake BJP Is Complete?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X