विश्लेषण: कौन जीता सीट बंटवारे की जंग? भाजपा-जदयू या लोजपा, जानें
नई दिल्ली। 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी अलग-अलग लड़े थे। बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के साथ लोजपा और रालोसपा ने मिलकर उम्मीदवार उतारे थे। उस वक्त प्रचंड मोदी लहर पर सवार बीजेपी बिहार में 29 सीटों पर लड़ी थी, जिनमें 22 लोकसभा सीटों पर उसे जीत मिली। लोजपा को 6 और रालोसपा को 3 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। 2014 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू को सिर्फ 2 लोकसभा सीटें मिली थीं, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में जेडीयू 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी मतलब बीजेपी के बराबर। रविवार को अमित शाह की ओर से किए गए औपचारिक ऐलान के मुताबिक, जेडीयू 17, बीजेपी 17 और लोजपा 6 सीटों पर लड़ेगी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवाने के बाद क्या बीजेपी ने बैकफुट पर आकर जेडीयू को अपने बराबर 17 सीटें दी हैं या दोनों के बीच बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला पहले ही हो गया था। आखिर बिहार में एनडीए की इस रस्साकशी में कौन विजेता बनकर उभरा है? यह सवाल बड़ा है, जिसका जवाब तलाशना बेहद जरूरी है।
तीन राज्यों में बीजेपी की हार के ठीक 12वें दिन हो गया बिहार में सीट बंटवारे का ऐलान
बिहार में सीट बंटवारे को लेकर काफी समय से खींचतान चल रही थी। हालांकि, खींचतान के वक्त उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा भी एनडीए में थी, लेकिन वह बाहर हो गई है। एनडीए में दो बड़े घटक दल यानी बीजेपी और जेडीयू के बीच एक ही बात को लेकर टकराव हो रहा था।बिहार में बड़ा भाई कौन? लगातार चुनावों में एक के बाद एक जीत दर्ज कर रही बीजेपी ने शुरुआत में तो जेडीयू को खूब तेवर दिखाए, लेकिन लगातार उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद नीतीश कुमार भी अपनी बात अड़े रहे। करते-करते काफी समय निकल गया और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आ गए। परिणाम यह हुआ कि बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवानी पड़ी। 11 दिसंबर को तीनों राज्यों में बीजेपी की हार का रिजल्ट आया और इसके ठीक 12वें दिन जेडीयू-बीजेपी-लोजपा के बीच चल रही सीट बंटवारे की जंग का भी परिणाम आ गया। अब इस नतीजे के हिसाब से 2019 में जेडीयू-बीजेपी बराबर 17-17 सीटों पर लड़ेंगी, जबकि लोजपा को 6 सीटें मिली हैं। मतलब कहीं न कहीं, बीजेपी को यह आभास हो गया कि अब जेडीयू को नाराज करना मतलब 2019 की संभावनाओं पर पानी फेरना होगा।
बिहार में कौन होगा बड़ा भाई? 2019 के रण में होगा फैसला
अब एक बार जरा 2014 लोकसभा चुनाव और 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू के ट्रैक पर नजर डालते हैं। 2014 में बीजेपी और जेडीयू साथ नहीं लड़े थे। इस चुनाव में बीजेपी बिहार में 29 सीटों पर लड़ी और 22 जीती। लोजपा 7 सीटों पर लड़ी और 6 जीती, जबकि रालोसपा 3 सीटों पर लड़ी और तीनों ही जीत गई। इससे पहले 2009 में बीजेपी और जेडीयू साथ लड़े थे। उस वक्त जेडीयू 25 लोकसभा सीटों पर लड़कर 20 जीती थी और बीजेपी 15 सीटों पर चुनाव लड़कर 11 जीती थी। तब जेडीयू बिहार में बड़े भाई की भूमिका में थी, लेकिन 2014 में बीजेपी ने बड़े भाई की भूमिका हासिल कर ली। अब इस लिहाज से देखें तो बीजेपी को 2014 की तुलना में 12 सीटें कम मिली हैं और 2009 से तुलना करें तो जेडीयू 8 सीटें कम पर लड़ रही है। मतलब सीटों के लिहाज से बीजेपी और जेडीयू दोनों ही नुकसान में रहे। अब बिहार में बड़ा भाई कौन होगा? इसका फैसला तो 2019 का चुनावी रण ही करेगा।
सबसे ज्यादा फायदे में लोजपा ही रही
कुल मिलाकर देखा जाए बिहार में एनडीए के सीट बंटवारे में अगर किसी को दल को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वह है- लोजपा। राम विलास पासवान की पार्टी पिछले चुनाव में 7 सीटों पर लड़ी थी, इनमें उसे 6 पर जीत प्राप्त हुई। इस बार यूं तो एनडीए में उसे 6 लोकसभा सीटें मिली हैं, लेकिन बीजेपी ने पासवान को राज्यसभा भेजने का वादा आंकड़ा 7 पर ही पहुंचा दिया है। इस लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी 2014 की तुलना में कम सीटों पर लड़ रही है और जेडीयू 2009 की तुलना में कम सीटों पर लड़ रही है। ऐसे में कहना गलत न होगा कि बीजेपी-जेडीयू के बीच चली 'बड़े भाई' का तो कोई फैसला नहीं हुआ, लेकिन सबसे ज्यादा फायदे में लोजपा ही रही।