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क्या झारखंड में अपनी 'ज़मीन' खोज रहे हैं अमित शाह

ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि क्या अमित शाह के पुरखों की कोई ज़मीन सच में देवघर में है, जैसा कि उनकी ही पार्टी के सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने दावा किया है. इसका सही जवाब अमित शाह ही दे सकते हैं लेकिन उन्होंने बीबीसी द्वारा इस बावत भेजे गए मेल का जवाब नहीं दिया है. अगर उनका जवाब आया, तो हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे.

By BBC News हिन्दी
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अमित शाह
PTI
अमित शाह

'मैंने यह कहा था कि अमित शाह जी के दादाजी ने 150-200 साल पहले देवघर में ज़मीन ख़रीदी थी. वह ज़मीन अमित जी के पिताजी या उनके नाम पर ट्रांसफ़र नहीं हो सकी. अमित जी को हाल ही में इस ज़मीन की जानकारी मिली, तो उन्होंने मुझे इसके बारे में बताया. मैंने उन्हें ज़मीन के कागज़ात निकलवाने को कहा है, ताकि हम उसके लोकेशन को ढूंढ सकें. यह उनकी पुश्तैनी संपत्ति है.'

बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने बीबीसी से यह बात कही.

उन्होंने बताया कि अमित शाह के पारिवारिक मुंशी को ज़मीन के कागजात निकालने के लिए कहा गया है, लेकिन अभी यह दस्तावेज़ नहीं मिल सका है. दस्तावेज़ मिलने के बाद हम लोग ज़मीन का पता कर सकेंगे कि वह देवघर के किस इलाके में है.

Amit Shah, बीजेपी, अमित शाह, देवघर
RAVI PRAKASH/BBC
Amit Shah, बीजेपी, अमित शाह, देवघर

डॉ. निशिकांत दुबे झारखंड की गोड्डा संसदीय सीट से लोकसभा के सदस्य हैं. देवघर उनके संसदीय क्षेत्र का एक शहर है.

कुछ दिनों पहले उन्होंने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह कहकर सबको चौंका दिया था कि अमित शाह जी की देवघर में खतियानी ज़मीन है. यह कांफ्रेस उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष के आगामी 19 जनवरी को प्रस्तावित देवघर दौरे की जानकारी देने के लिए बुलायी थी.

उस प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे एक पत्रकार ने बीबीसी से कहा, ''हम लोगों ने जब ज़मीन के बारे में ज़्यादा जानकारी चाही, तो सांसद ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा कि अमित शाह जी का देवघर से पुराना लगाव है. वे यहां के परमानेंट (खतियानी) वाशिंदे हैं.''

बैद्यनाथ मंदिर
PTI
बैद्यनाथ मंदिर

बैद्यनाथ मंदिर से है देवघर की पहचान

बिहार की सीमा से सटे देवघर की पहचान यहां स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर (बाबा बैद्यनाथ के मंदिर) से है. यहां पूजा करने देश भर के लोग आते हैं. इनके अलग-अलग पंडे (पुरोहित) हैं, जिनके पास उन सभी लोगों का लेखा-जोखा है, जो कभी यहां पूजा करने आए थे.

यहां के पंडों ने अपने 'दस्तख़ती' (रजिस्टर) में उन लोगों के दस्तख़त भी करा रखे हैं. उनके पास इन लोगों की 'वंशावली' भी है. पंडों का दावा है कि देवघर आने वाले हिंदू धर्मावलंबी बाबा मंदिर में मत्था टेके बगैर नहीं जाते.

बीजेपी, अमित शाह, देवघर
RAVI PRAKASH/BBC
बीजेपी, अमित शाह, देवघर

अमित शाह कभी नहीं आए बैद्यनाथ मंदिर

गुजरात के पंडे यहां बैद्यनाथ गली में रहते हैं. दरअसल, यह एक ही परिवार (सीताराम शिरोमणि) के लोग हैं, जो गुजरात के अलग-अलग ज़िलों के लोगों की पूजा कराते हैं.

यहां मेरी मुलाकात दीनानाथ नरौने से हुई, जो अमित शाह के गृह क्षेत्र के पंडा हैं. उनके पूर्वज पिछले 200 सालों से मनसा (अमित शाह का पैतृक शहर) के लोगों की पूजा कराते रहे हैं. मुझे इनकी वंशावलियां दिखाते हुए उन्होंने दावा किया कि अमित शाह, उनके पिताजी या दादाजी यहां कभी पूजा करने नहीं आए. लिहाजा, 'दस्तख़ती' में उनके दस्तख़त नहीं है. इसलिए उनकी वंशावली भी नहीं बन सकी है.

बीजेपी, अमित शाह, देवघर
RAVI PRAKASH/BBC
बीजेपी, अमित शाह, देवघर

नहीं हो सकती है अमित शाह की ज़मीन

दीनानाथ नरौने ने बीबीसी से कहा, ''अमित शाह जी की ज़मीन को लेकर सांसद महोदय का बयान बेबुनियाद है. कोई और अमित शाह होगा, जिसकी ज़मीन होगी. लेकिन, वे अमित शाह जो मनसा के रहने वाले हैं, बीजेपी के अध्यक्ष हैं, उनकी कोई ज़मीन देवघर में नहीं है. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं. जब उनके परिवार का कोई यहां आया ही नहीं, तो फिर वे ज़मीन कैसे ख़रीद लेंगे.''

मेरे बाप-दादा की जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं है. अगर ज़मीन होती, तो हमें पता होता. हमने उसकी पूजा करायी होती. यही देवघर की परंपरा है. बिना पंडों के यहां कोई शुभ काम नहीं होता.

देवघर का गुजराती समाज

देवघर में गुजरात के कुछ लोगों का अच्छा-खासा व्यवसाय है. सब एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं. 'देवघर गुजराती समाज' नाम से इनका एक संगठन भी है.

इसके सचिव किरीट भाई पटेल ने बताया कि देवघर में गुजरात के सिर्फ़ आठ परिवार रहते हैं. इनमें मनसा का कोई नहीं है.

किरीट भाई पटेल ने बीबीसी से कहा, ''अमित शाह की ज़मीन के बारे में मुझे अख़बार से पता चला. अब इसकी सत्यता क्या है, यह मैं नहीं बता सकता. हां, मुझे यह पता है कि अब देवघर में बस चुके गुजरात के लोग मूलतः कच्छ, आणंद, बड़ौदा और राजकोट ज़िलों के हैं. इनमें अमित शाह या उनके परिवार के लोग नहीं हैं."

वो कहते हैं, "साल में दो बार हमारा देस (गुजरात) जाना होता है. ऐसे में यहां रह रहे गुजरातियों के बाबत हमारी जानकारी दुरुस्त है. अब अगर 200 साल पहले किसी ने ज़मीन ख़रीदी हो, तो हम उस बारे में नहीं बता सकते.''

1932 में हुआ था अंतिम सेटलमेंट

देवघर के उपायुक्त (डीसी) राहुल कुमार सिन्हा ने बीबीसी से कहा कि इस इलाके की ज़मीनों का अंतिम सर्वे सेटलमेंट साल 1932 में हुआ था. ऐसी ज़मीनों के लाखों खाते हैं. ऐसे में किसी भी पार्टिकुलर ज़मीन के बारे में तभी बताया जा सकता है, जब उसका खाता-खेसरा नंबर पता हो. मेरे दफ़्तर को फ़िलवक्त अमित शाह जी की ज़मीन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैंने भी सिर्फ़ इसके बारे में सुना है.

अमित शाह का चुनावी एफ़िडेविट

राज्यसभा चुनाव के वक़्त भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने शपथ पत्र में अपनी और अपनी पत्नी के स्वामित्व वाली दो करोड़ से भी अधिक मूल्य की कृषि योग्य ज़मीनों का उल्लेख किया है लेकिन इसमें यह विवरण नहीं है कि यह ज़मीनें कहां हैं. हालांकि, उसी शपथ पत्र में उन्होंने करीब सवा पांच करोड़ की गैर कृषि योग्य ज़मीनों का विवरण भी दे रखा है. यह ज़मीनें गांधीनगर और अहमदाबाद में हैं.

क़ानून क्या कहता है

झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि अगर अमित शाह के दादाजी की देवघर में कोई ज़मीन है, तो उन्हें अपने शपथ पत्र में इसे शामिल करना चाहिए था. घर के इकलौते वारिस होने के कारण उस ज़मीन का मालिकाना हक भी स्वतः अमित शाह का हो गया. लिहाजा, यह उनकी संपत्ति है.

बीजेपी, अमित शाह, देवघर
RAVI PRAKASH/BBC
बीजेपी, अमित शाह, देवघर

अमित शाह का परिवार

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ब्रितानी लेखक पैट्रिक फ्रेंच को साल 2016 मे दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके दादा गोकल दास शाह वड़ोदरा के तत्कालीन शासक स्याजी राव गायकवाड़ के प्रशासक रहे थे. उन्हें अपने प्रशासकीय गुण अपने दादाजी से ही मिले हैं.

श्री शाह के परदादा भी मनसा के नगरसेठ रहे हैं. वहां उनकी बड़ी हवेली भी है. उनके पिता अनिल चंद्र शाह स्टॉक ब्रोकर थे. उनका पीवीसी पाइप बनाने का भी काम था. अमित शाह भी राजनीति में आने से पहले पीवीसी पाइप के व्यापार से जुड़े थे.

सच क्या है

ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि क्या अमित शाह के पुरखों की कोई ज़मीन सच में देवघर में है, जैसा कि उनकी ही पार्टी के सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने दावा किया है. इसका सही जवाब अमित शाह ही दे सकते हैं लेकिन उन्होंने बीबीसी द्वारा इस बावत भेजे गए मेल का जवाब नहीं दिया है. अगर उनका जवाब आया, तो हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे.

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English summary
Amit Shah is searching for his land in Jharkhand
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