Rohingya Crisis: दोनों देशों के बीच सीमा करार में हो सकता है बड़ा फेरबदल
नई दिल्ली। रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर केंद्र सरकार का सख्त रुख अभी भी बरकरार है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या मुसलमानों के भारत में निर्बाध आवागमन पर को रोक लगाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि म्यांमार के रास्ते का गलत इस्तेमाल किया जाता है, यहां से आतंकी, अपराधी अवैध रूप से हथियार स्मगल करते हैं, नशीले पदार्थ लाते हैं, जाली नोट और गैर कानूनी व्यापार करते हैं।
16 किलोमीटर तक सीमा के भीतर जा सकते हैं
आपको बता दें कि भारत और म्यांमार के बीच द्वीपक्षीय समझौता है जिसके तहत दोनों देशों के बीच देश के नागरिक आसानी से आ जा सकते हैं। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा सामने खड़ा हुआ है, उसे देखते हुए भारत सरकार इस सीमा पर आवागमन की समीक्षा कर रही है। भारत और म्यांमार के बीच जो समझौता है उसके मुताबिक दोनों देशों की सीमा के भीतर 16 किलोमीटर तक आसानी से आ जा सकते हैं। लेकिन कई ऐसे मौके सामने आए हैं जब इस समझौते का गलत इस्तेमाल किया गया है और आतंकियों व तश्करों ने इसका गलत फायदा उठाया है।
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दो आला अधिकारियों को भेजा समीक्षा के लिए
ऐसे में भारत ने इस समझौते की समीक्षा करने का फैसला लिया है, गृह मंत्री ने अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों को म्यांमार की सीमा से जुड़े चार राज्यों का दौरा करने के लिए भेजा है। इसके लिए स्पेशल सेक्युरिटी सचिव रीना मित्रा व ज्वाइंट सेक्रेटरी सत्येंद्र गार्द को भेजा गया है, जो यहां आला अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। ये दोनों वरिष्ठ अधिकारी चारों राज्यों के अधिकारियों से मिलकर सीमा पर लोगों के आवागमन की समीक्षा करेंगे।
72 घंटे तक बिना वीजा रह सकते हैं
गौरतलब है कि भारत की 1643 किलोमीटर की सीमा म्यांमार से जुड़ी हुई है, यह कई मायनों में खास है, यहां आने के लिए आपको किसी भी तरह के वीजा की जरूरत नहीं होती है, लोग आसानी से म्यांमार में 16 किलोमीटर तक अंदर जा सकते हैं और ऐसे ही म्यांमार के लोग भारत के भीतर 16 किलोमीटर तक अंदर आ सकते हैं। यही नहीं दोनों देशों के नागरि एक दूसरे के देश में 72 घंटे तक रह भी सकते हैं। इसके लिए दोनों ही देशों की ओर से वैध परमिट जारी किया जाता है।
दोनों देशों के लोगों में रहता है बेहतर संबंध
यह व्यवस्था दोनों देशों के बीच संबंध को बेहतर करने के लिए किया गया था, जिससे कि दोनों देशों में सीमा पर रहने वाले लोगों के बीच सामाजिक और पारंपरिक जुड़ाव बना रहे। इस समझौते से दोनों देशों के बीच रह रहे लोगों को किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन जिस तरह से गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस समझौते की आड़ में आतंकियों और तश्करों की चिंता जताई है, उसे देखते हुए आने वाले समय में इस समझौते में बदलाव की संभावना प्रबल हो गई है।