किसकी होगी अमेठी - बेटा, बहू या विश्वास ?
यहां
मुकाबला
गांधी
परिवार
के
चिराग
राहुल
गांधी,
टीवी
सीरियल
फेम
'बहू'
स्मृति
ईरानी
और
'आप'
के
कुमार
विश्वास
के
बीच
तगड़ी
जंग
है।
इस
चुनाव
में
बसपा
14
नंबर
के
खिलाड़ी
की
तरह
नज़र
आ
रही
है।
अगर
अमेठी
की
पहचान
राहुल
गांधी
के
परिवार
से
है,
तो
भाजपा
की
स्मृति
ईरानी
भी
'बहू'
के
रूप
में
अपनी
खास
पहचान
रखती
हैं।
यह
भी
पढ़ें
-
बाबा
रामदेव
का
नया
'आसन'
इसके साथ ही विश्वास की कविताएं व उनकी हालिया अमेठी-कूच भी किसी से छिपी नहीं है। राहुल का हमेशा से आधी आबादी पर फोकस रह है। अब उसी प्रतिनिधत्व की राह में स्मृति भी लोगों को लुभाने की कोशिश में हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष तीसरी बार भावनात्मक रिश्ते के सहारे अपने ही पुराने रिकाॅर्ड तोड़ने की फिराक में हैं। 'आप' के विश्वास को भी विश्वास है कि मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म व कर्मस्थली की जनता इस बार उन्हें सत्ता का ताज सौंपेगी।
बसपा
प्रत्याशी
डाॅ.
धर्मेंद्र
सिंह
भी
काफी
उत्साहित
हैं।
जैसे-जैसे
चुनाव
गति
पकड़
रहा
है,
स्थानीय
मुद्ये
भी
चर्चा
से
छिटक
रहे
हैं।
अमेठी
ने
पूर्व
प्रधानमंत्री
राजीव
गांधी
का
शासन
भी
देखा
और
पिछले
10
साल
से
बेटे
राहुल
गांधी
का
भी।
लेकिन
दोनों
में
बहुत
ही
बड़ा
फर्क
है।
अमेठी
की
जनता
गांधी-नेहरू
परिवार
को
सिर-आंखों
पर
बिठाती
रही
है,
पर
यह
मुहब्बत
एक
बार
लड़खड़ाई
थी।
सन 1977 में जनता नाराज थी और नेहरू परिवार इस बात से बेखबर था कि अगले 25 महीनों तक उसे वनवास झेलना पड़ेगा। 18 महीनों की इमरजेंसी और 28 महीनों का वनवास। 1977 के आम चुनावों में इस सीट से संजय गांधी को हार का सामना करना पड़ा था।
यह चुनाव ऐतिहासिक था। अमेठी सीट पर पूरे विपक्ष की निगाह थी। यहां से संजय गांधी चुनाव लड़ रहे थे। उनके प्रतिद्वंदी जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप थे। संजय की 76 हजार वोटों से जबर्दस्त हार हुई। रवींद्र प्रताप को 1,76,410 वोट मिले। जनता पार्टी के उम्मीदवार को कुल 60.07 फीसदी वोट हासिल हुए थे।
इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी अमेठी संसदीय सीट से लोकसभा के लिए चुने गए। अमेठी के संसदीय इतिहास में केवल दो चुनावों में यहां कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई है। 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार ने संजय को हार का स्वाद चखाया था तो 1998 में भाजपा के संजय सिंह ने कांग्रेस को शिकस्त दी थी। इन दो मौकों को छोड़कर अमेठी की जनता ने नेहरु-गांधी परिवार के चिरागों का ही राजतिलक किया है।