जानिए संसद के उस सेंट्रल हॉल के बारे में सब कुछ जहां आज आधी रात को होगा GST का जन्म
नई दिल्ली। देश का सबसे बड़ा टैक्स सुधार जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स आज आधी रात से देश भर में लागू हो जाएगा। संसद के सेंट्रल हॉल में कई सितारों की मौजूदगी में जीएसटी के साथ ही एक देश एक टैक्स का सपना पूरा होगा। इस हॉल में शुक्रवार आधी रात को मेगास्टार अमिताभ बच्चन से लेकर स्वर कोकिला लता मंगेशकर भरी मौजूद रहेंगी। इसके अलावा रतन टाटा भी यहां पर शिरकत करेंगे। साथ ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत सासंद भी इस दौरान मौजूद रहेंगे। संसद का सेंट्रल हॉल देश की आजादी से लेकर कई एतिहासिक पलों का गवाह बन चुका है। वर्ष 1997 के बाद यह पहला मौका है जब इस हॉल में आधी रात में कोई कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। उस समय देश की आजादी के 50 वर्षों का जश्न मनाया गया था। आजादी से लेकर अब देश के अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े सुधार का गवाह बनने जा रहे इसी सेंट्रल हॉल के बारे में जानिए कुछ खास बातें।
यही मिली थी नेहरु को सत्ता
संसद के सेंट्रल हॉल में ही सन् 1947 में अंग्रेजों ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु को सत्ता का हस्तांतरण किया था। इसके साथ ही देश को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी।
जब पहली बार पीएम मोदी पहुंचे सेंट्रल हॉल
मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही संसद भवन के सेंट्रल हॉल का खूब जिक्र हुआ। उस समय संसद भवन के सेंट्रल हॉल में बीजेपी के नए संसदीय दल की एक मुलाकात हुई थी और नए पीएम मोदी भी मौजूद थे। बीजेपी के संसदीय दल ने भारतीय संसद के इस एतिहासिक सेंट्रल हॉल में ही मोदी को अपना नेता चुना। नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस हॉल में कदम रखा और पहली बार ही उन्होंने भारतीय संसद को करीब से देखा।
यहीं लिखा गया है देश का संविधान
देश की संविधान सभा पहली बार नौ दिसंबर 1946 को सेंट्रल हॉल में पहली बार मिली और इसके साथ ही यहां पर संविधान के लिखे जाने का काम शुरू हुआ। नौ दिसंबर 1946 से लेकर 26 नवंबर 1949 तक यहीं पर संविधान लिखा गया।
कभी लाइब्रेरी के तौर पर होता था प्रयोग
सन् 1946 तक संसद के सेंट्रल हॉल का प्रयोग लाइब्रेरी के तौर पर होता था। 1946 तक इस हॉल को केंद्रीय संसदीय सभा और कॉउंसिल ऑफ स्टेट्स की लाइब्रेरी के तौर पर प्रयोग किया जाता था। इसके बाद इसे फिर से सजाया गया और इसे संसदीय हॉल का रूप दिया गया।
राष्ट्रपति का संबोधन
हर लोकसभा चुनावों के बाद होने वाले पहले सत्र के दौरान इसी हॉल में सांसद इकट्ठा सांसदों को राष्ट्रपति संबोधित करते हैं। इसके अलावा संसद के सत्र के समय भी इसी हॉल में राष्ट्रपति का संबोधन होता है।
यहीं मिलते हैं सारे सांसद
सांसद वर्तमान में संसद का यह सेंट्रल हॉल वह जगह है जहां पर राज्यसभा और लोकसभा के सांसद आपस में मिलते हैं और आपस में अपने विचार साझा करते हैं।
यहीं पर ओबामा को याद आए विवेकानंद
वर्ष 2010 में राष्ट्रपति ओबामा पहली बार भारत दौरे पर आए थे। यहां पर उन्होंने आठ नवंबर 2010 को देश की संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ओबामा ने स्वामी विवेकानंद का जिक्र किया। ओबामा ने कहा, 'भारत की संसद में आज इस देश की विविधता के दर्शन हो रहे हैं। इस देश के विश्वासों की शोभा को एक सदी से भी पहले मेरे गृहनगर शिकागो पहुंचे एक आंगतुक ने भी दुनिया को बताया था, उनका नाम था स्वामी विवेकानंद।
यहां पर सेलिब्रेट होता है सांसदों का बर्थडे
सेंट्रल हॉल में कई विशेष मौकों को आयोजित किया जाता है। इसके अलावा कई देशों के प्रमुख जैसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जब भारत के दौरे पर आते हैं, तो इसी हॉल में उनका सम्मान किया जाता है। इसके अलावा जब सांसदों का बर्थडे होता है तो इसी सेंट्रल हॉल में उसका भी आयोजन किया जाता है।
ताकि हर भाषा में सुनाई दे संदेश
सेंट्रल हॉल संसद का एक ऐसा हॉल है जो पूरी तरह से सिम्यूलेंटेनियस इंटरप्रिटेशन सिस्टम से लैस है। इस सिस्टम की बदौलत अलग भाषा के लोग सेंट्रल हॉल में होने वाले संबोधन को अपनी भाषा में सुन सकते हैं।
लॉन भी काफी खास
सेंट्रल हॉल का लॉन भी अपने आप में कई मायनों में खास है। सेंट्रल हॉल यह हरा-भरा लॉन में कई एतिहासिक मौकों का गवाह बना है। कई सुंदर पेड़ पौंधों और कई तरहों के सजावटी झरनों के साथ सेंट्रल हॉल का लॉन भी यहां आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।