निपाह वायरस पर बोले एम्स के विशेषज्ञ- इस संक्रमण का इलाज नहीं, चमगादड़ों को रोकना मुश्किल
नई दिल्ली, 6 सितंबर: पूरे देश में कोरोना महामारी का कहर जारी है। इस साल जनवरी में भारतीय वैज्ञानिकों ने भी इसकी वैक्सीन तैयार कर ली, जिसकी दो-दो डोज जनता को दी जा रही है। इस बीच एक और टेंशन वाली खबर सामने आई है, जहां केरल में निपाह वायरस के कुछ केस मिले हैं। साथ ही एक 12 साल के बच्चे की मौत भी हुई। इस वायरस का कोई ठोस इलाज नहीं है, जिससे हालात बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
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मामले में दिल्ली एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशुतोष विश्वास ने कहा कि हमारे पास विशिष्ट उपचार नहीं है। फ्रूट बैट (चमगादड़) एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाते हैं। अगर वे अन्य स्थानों के लिए उड़ान भरते हैं, तो स्वाभाविक रूप से ये वायरस फैल सकता है। ऐसे में सिर्फ सावधानी ही इसका एकमात्र इलाज है।
कोरोना
से
ज्यादा
खतरनाक
वायरस
एक्सपर्ट
के
मुताबिक
निपाह
वायरस
कोरोना
से
भी
ज्यादा
खतरनाक
है।
ये
एक
जूनोटिक
वायरस
है,
जिसका
मतलब
है
कि
ये
जानवरों
से
इंसानों
में
फैलता
है।
रिसर्च
के
मुताबिक
जब
कोई
फ्रूट
बैट
फल
को
खाता
है,
तो
वो
उसे
संक्रमित
कर
देता
है।
इसके
बाद
अगर
इंसान
खाता
है,
तो
वो
संक्रमित
हो
जाता
है।
इस
बीमारी
का
कोई
इलाज
नहीं
है,
जिस
वजह
से
मरीज
की
मौत
भी
हो
सकती
है।
इसकी
दवा
के
साथ
वैक्सीन
पर
काम
तो
चल
रहा
है,
लेकिन
अभी
तक
कोई
कामयाबी
नहीं
मिली।
देश में कोरोना के 38948 नए मामले, 219 की मौत, अकेले केरल में 26701 केस मिले
प्रशासन
हुआ
सख्त
कोरोना
वायरस
की
तरह
ये
भी
एक
इंसान
से
दूसरे
इंसान
में
तेजी
से
फैलता
है।
इसके
ज्यादातर
संदिग्ध
केस
केरल
से
ही
सामने
आ
रहे
हैं।
ऐसे
में
वहां
पर
प्रशासन
काफी
सख्त
हो
गया
है।
सोमवार
को
राज्य
में
मामूली
लक्षणों
वाले
8
लोगों
और
रामबूटन
फलों
के
नमूने
जांच
के
लिए
नेशनल
इंस्टीट्यूट
ऑफ
वायरोलॉजी
(एनआईवी)
पुणे
भेजे
गए।
वहीं
एक
टीम
ने
वायरस
की
वजह
से
दम
तोड़ने
वाले
लड़के
के
घर
का
दौरा
किया।
प्रशासनिक
टीम
अब
कॉन्टैक्ट
ट्रेसिंग
और
संक्रमण
के
जरिए
का
पता
लगाने
की
कोशिश
कर
रही
है।