तीसरी लहर से बच्चों को ज्यादा खतरा नहीं, AIIMS-WHO के सर्वे में दावा
नई दिल्ली, जून 17 : कोरोना दूसरी लहर ने देश में जमकर तांडव मचाया था। हालांकि अब इसकी रफ्तार कम हो गई है। लेकिन उस दौरान रोजाना 4 लाख से ज्यादा नए पॉजिटिव केस मिले थे। वहीं इस वायरस से अचानक मौत का आंकड़ा भी डराने वाला बढ़ गया था। कोरोना की दूसरी लहर में 5 हजार से ज्यादा मौतें पूरे देशभर से रिकॉर्ड की जा रही थी। वहीं अब कोरोना की तीसरी संभावित लहर को लेकर सरकारें अलर्ट हैं। जिसको लेकर कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा बच्चे प्रभावित होंगे, लेकिन इस बीच डब्ल्यूएचओ-एम्स के सर्वे में दावा किया गया है कि तीसरी वेव में बच्चों को कोई विशेष खतरा नहीं हैं।
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में बच्चों में हाई सेरोपोसिटिविटी पाई गई है। स्टडी के अंतरिम निष्कर्षों ने अन्य आयु समूहों की तुलना में बच्चों को प्रभावित करने वाले कोविड-19 संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के बारे में चिंताओं को कम कर दिया है। कुल मिलाकर अगर साफ शब्दों में कहे तो इस सर्वे के मुताबिक कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका बहुत कम है। एम्स और WHO की ओर से किए गए सर्वे में बड़ों के मुकाबले बच्चों में सेरोपोसिटिविटी रेट ज्यादा था। सेरोपोसिटिविटी वायरस के प्रति प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (नेचुरल इम्युन रिस्पॉन्स) को माउंट करने की शरीर की क्षमता को संदर्भित करती है।
इस सर्वे को पांच राज्यों में किया गया था, जिसमें 10 हजार सैंपल लिए गए थे। जिनमें 4,509 प्रतिभागियों में से जिनके लिए डेटा उपलब्ध है, 700 18 वर्ष से कम आयु के थे और 3,809 18 वर्ष की आयु के थे। यह स्टडी दिल्ली शहरी, दिल्ली ग्रामीण, भुवनेश्वर, गोरखपुर और अगरतला की साइट के लिए औसत आयु 11 वर्ष, 12 वर्ष, 11 वर्ष, 13 वर्ष और 14 वर्ष थी। स्टडी के लिए डेटा 15 मार्च 2021 और 10 जून 2021 के बीच इकट्ठा गया था। शोधकर्ताओं के अनुसार SARS-CoV-2 के खिलाफ कुल सीरम एंटीबॉडी का आकलन करने के लिए एलिसा किट का उपयोग किया गया था।
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अध्ययन के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि सीरोप्रवलेंस 18 वर्ष आयु वर्ग में 55.7 प्रतिशत और 63.5 प्रतिशत था। वयस्क और बच्चों के बीच प्रसार में कोई सांख्यिकीय महत्वपूर्ण अंतर नहीं था। स्टडी के निष्कर्ष के मुताबिक बच्चों में SARS-CoV-2 सीरो-पॉजिटिविटी दर अधिक थी और वयस्क आबादी के बराबर थी। इसलिए यह संभावना नहीं है कि प्रचलित कोविड- 19 संस्करण की संभावित तीसरी लहर दो साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी।