असम में नागरिकता साबित करने के लिए भटक रहे 104 साल के 'विदेशी' बुजुर्ग की मौत, डिटेंशन सेंटर में भी बिताए दिन
असम। दो साल से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए भटक रहे असम के रहने वाले 104 साल के चंद्रहार दास की मौत हो गई है। वो दिल की बीमारी से ग्रसित थे। दो साल पहले उन्होंने 'विदेशी' होने के कारण 6 महीने सिलचर के डिटेंशन सेंटर में रह रहे। उसके बाद जमानत पर उन्हें छोड़ा गया था। चंद्रहार की बेटी न्यूती ने बताया कि छह महीने पहले चंद्रहार ने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के भाषण का एक वीडियो देखने के बाद कहा था, 'मोदी मेरे भगवान हैं, वह सबकुछ ठीक कर देंगे। नागरिकता कानून आ गया है। अब हम सभी भारतीय बन जाएंगे।'
चंद्रहार को यह कहकर जमानत पर छोड़ा गया था कि उन्हें नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम के हिंदू बंगाली बहुल-बराक घाटी में सिलचर से 30 किलोमीटर दूर रहने वाले 104 वर्षीय चंद्रहार दास को रविवार की शाम हार्ट अटैक आया। घर में ही उनकी मौत हो गई। बेटी न्यूती दास से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो पहले तो उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया बाद में काफी गुजारिश के बाद कुछ कहने को राजी हुईं। न्यूती ने कहा कि 'घर में, गली में और सड़कों पर पीएम मोदी के पोस्टर लगे हैं। जहां भी नजर पड़ती है मैं हाथ जोड़ लेती हूं, क्योंकि मेरे पिता प्रधानमंत्री को भगवान मानते थे।
चंद्रधर दास के वकील सौमेन चौधरी ने आजतक से कहा कि चंद्रधर दास को अदालत के सामने पेश होना था, लेकिन वृद्ध होने की वजह से वह डिटेंशन सेंटर में मुश्किल से चल पाते थे। जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के आधार पर अदालत से बेल मांगा। इसके बाद उन्हें बेल मिल गई। इसके बाद वे अपने परिवार के साथ रह रहे थे। सौमेन चौधरी ने कहा कि चंद्रधर दास दावा करते थे कि उन्हें 1966 में अगरतला में रिफ्यूजी सर्टिफिकेट जारी किया गया था, जबकि उनका जन्म पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के कोमिला में हुआ था। वकील चौधरी ने कहा कि चंद्रधर दास के इस प्रमाण की जांच अभी होनी बाकी थी, इसलिए चंद्रधर दास की नागरिकता का मामला लटका था।
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