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भारत के नोट पर क्यों और किसने लगाई पाकिस्तान सरकार की मुहर? दुर्लभ नोट

देखिए भारत पाकिस्तान विभाजन के समय का एक रुपए का दुर्लभ नोट। पढ़िए इसके पीछे की पूरी कहानी।

By मंसूरुद्दीन फरीदी
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दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के ऐलान के बाद पिछले एक सप्ताह से भारतीय नोट सुर्खियों में है। भारत सरकार ने 500 और 2000 के नए नोट जारी किए हैं, जिसके साथ सेल्फी खींच कुछ लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर इस पल को यादगार बनाने में लगे हैं। एक ऐसे ही एक यादगार और दुर्लभ नोट को लेकर हम आए हैं, जिसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे।

यह दुर्लभ नोट भारत की आजादी के समय का है। आप देख सकते हैं कि यह नोट तो भारत सरकार का है लेकिन इस पर पाकिस्तान सरकार की मुहर भी लगी है। इस नोट के देखकर आप पूछ सकते हैं कि भारत के नोट पर पाकिस्तान की मुहर कैसे लग गई? नीचे आपको अपने सारे सवालों के जवाब मिलेंगे। आइए आपको इस खास और दुर्लभ नोट की पूरी कहानी बताते हैं।

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1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे से है इस नोट का संबंध

1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे से है इस नोट का संबंध

1947 में भारत के इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय लिखा गया। भारत और पाकिस्तान का जब बंटवारा हुआ तो खजाने को भी बांटा गया। फैसला हुआ कि नए बने देश पाकिस्तान को मुआवजा राशि के तौर पर भारत सरकार की तरफ से 75 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा।

इस 75 करोड़ रुपए में से 20 करोड़ रुपए की पहली किस्त, पाकिस्तान को भारत दे चुका था। उसी दौरान कबीलाई लोगों के साथ मिलकर पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए आक्रमण कर दिया। भारत ने अब तक 75 करोड़ रुपए में से 55 करोड़ रुपए पाकिस्तान को नहीं दिए थे।

गांधी की भूख हड़ताल के बाद भारत ने दिए पैसे

गांधी की भूख हड़ताल के बाद भारत ने दिए पैसे

पाकिस्तान ने जब कश्मीर पर हमला किया तो उसके बाद भारत सरकार ने भी 55 करोड़ रुपए देने से इनकार कर दिया। भारत सरकार ने तब कहा था कि जब तक कश्मीर समस्या का कोई हल नहीं निकल जाता तब तक पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए की बकाया राशि नहीं दी जाएगी।

सरकार का कहना था कि इतनी बड़ी रकम को पाकिस्तान सरकार, भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए सैन्य जरूरतों पर खर्च कर सकती है। लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पाकिस्तान को यह रकम दिलाने के लिए आमरण अनशन किया, जिसके बाद भारत सरकार ने 55 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया।

एक ही प्रेस से छपता था पैसा, भारत ने प्रेस देने से किया इनकार

एक ही प्रेस से छपता था पैसा, भारत ने प्रेस देने से किया इनकार

आजादी के समय भारत में नोट छापने के लिए एक ही प्रिटिंग प्रेस था। बंटवारे में भारत ने इस प्रेस को पाकिस्तान को सौंपने से इनकार कर दिया। भारत ने पाकिस्तान को जो 75 करोड़ रुपए दिए थे, 1 रुपए का यह दुर्लभ नोट उसी खजाने का है।

अब तक आप इस सवाल का जवाब खोज रहे होंगे कि आखिर भारत सरकार के इस नोट पर पाकिस्तान सरकार का नाम कहां से आया? आइए आपको बताते हैं।

पाकिस्तान को मुहर लगाकर चलाने पड़े रुपए

पाकिस्तान को मुहर लगाकर चलाने पड़े रुपए

भारत सरकार ने पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपए दिए थे, उस पर वहां की सरकार ने अपनी रबर की मुहर लगाई और उसे चलाना शुरू किया। यह नोट 1940 का है जिस पर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के साथ-साथ गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान भी लिखा है। एक नोट पर दो देशों की छाप वाला यह रुपया वाकई दुर्लभ है। यही नोट भारत में उस समय चला था और पाकिस्तान में भी।

कहां से मिला यह दुर्लभ नोट?

भारत और पाकिस्तान में एक साथ चलने वाला यह दुर्लभ नोट जानेमाने उर्दू पत्रकार रहे रईसुद्दीन फरीदी के कलेक्शन का हिस्सा है, जो इस स्टोरी के लेखक के पिता भी हैं। रईसुद्दीन फरीदी उस समय मुंबई में उर्दू पत्रकारिता करते थे। वे मुंबई के ऐतिहासिक उर्दू अखबार 'खिलाफत' के संपादक थे।

मोहम्मद अली जिन्ना ने जिन पत्रकारों को पाकिस्तान चलने का निमंत्रण दिया था, उनमें रईसुद्दीन फरीदी भी थे। जिन्ना के निमंत्रण को रईसुद्दीन फरीदी ने नहीं माना और वह भारत में ही रहे। उनका क्लेक्ट किया हुआ यह नोट आज भी उस ऐतिहासिक दौर की यादगार निशानी है।

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English summary
Special story on a rare one rupee note of partition period. This rare note contains the name of Govt of India and Govt of Pakistan both.
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