छत्तीसगढ़: सीडीकांड के बाद अकेले पड़े भूपेश बघेल, राहुल गांधी से लेकर प्रदेश के नेता भी काट रहे हैं कन्नी
रायपुर। टिकटों का सौदा करते हुए स्टिंग वायरल होने के बाद पीसीसी चीफ भूपेश के सितारे गर्दिश में चले गए हैं। जहां पहले भूपेश की एक आवाज पर लाखों कार्यकर्ता जेल भरने चले जाते थे। अब हालत ये हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तक भूपेश का साथ पसंद नहीं कर रहे हैं। इसकी बानकी आज तब नजर आई जब कांग्रेस के पांच बड़े नेता टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत, रविंद्र चौबे, धनेंद्र साहू, शिव डहरिया, राम दयाल उईके उन्हें छोड़कर अकेले ही मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के लिए दंतेवाड़ा रवाना हुए। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस में एक नया गुट जन्म ले रहा है, जिसमें भूपेश कहीं नजर नहीं आ रहें।
भूपेश का साथ किसी को नहीं पसंद
भूपेश के दंतेवाड़ा न जाने के मामले में कांग्रेस का कहना है कि भूपेश बघेल को दिल्ली जाना था और उनका कार्यक्रम पहले से तय था, लिहाजा वो दंतेवाड़ा नहीं गए। इसमें कोई हैरानी और अटकलें लगाने जैसी कोई बात नहीं है। ये बात सच भी है कि भूपेश बघेल सुबह 11 बजे की फ्लाइट से वो दिल्ली रवाना हुए हैं। लेकिन इसमें ट्विस्ट ये भी है कि चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव को भी दिल्ली जाना है। ऐसे में जब इन दोनों नेताओं को दोपहर बाद की फ्लाइट से दिल्ली जाना ही था, तो फिर भूपेश बघेल भी इनके साथ जा सकते थे। लेकिन भूपेश बघेल का अलग फ्लाइट में जाना और सिंहदेव-महंत का अलग फ्लाईट में दिल्ली जाने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
सीडीकांड के बाद पड़े अलग-थलग
सीडी कांड के बाद शुरुआत में भूपेश बघेल अलग-थलग नजर आ रहे थे लेकिन प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और आलाकमान के निर्देश के बाद पार्टी एक जुट होकर भूपेश के साथ खड़ी नजर आ रही थी। लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर सामने आई स्टिंग ऑपरेशन ने एक बार फिर से प्रदेश के असंतुष्ट खेमों को मौका दे दिया। जिसके बाद इसकी शिकायत आलाकमान से की गई। लेकिन इस बार प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया भी भूपेश के साथ खड़े नजर नहीं आए। जिसका फायदा सभी असंतुष्ट नेताओं को मिल गया।
इसलिए हटाया पद से
इसके साथ ही माना जा रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का पहले 12 अक्टूबर को दौरा तय था लेकिन सीडीकांड के बाद उन्होंने इसे स्थगित कर दिया है। वे अब दशहरा के बाद प्रदेश के दौरे पर आएंगे। चूंकि स्टिंग में प्रभारी बनाकर भेजे गए पीएल पुनिया का नाम है ऐसे में आलाकमान इस मुद्दे को लेकर बेहद गंभीर है। भाजपा भी लगातार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को घेर रही है। ऐसे में यदि कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व चुनाव को देखते हुए भूपेश को पद से नहीं हटाता तो भूपेश की ताकतों को जरूर कम कर नये सिरे से संगठन को मजबूती देने की कोशिश कर रहा है।