मोहब्बत हो तो ऐसी: 9 महीने से लापता पत्नी को आखिर खोज ही लिया पति ने
कहते हैं अगर किसी को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलवाने में जुट जाती है, कुछ ऐसी ही कहानी है तपेश्वर और बबीता की...
मेरठ। कहते हैं अगर किसी को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलवाने में जुट जाती है, कुछ ऐसी ही कहानी है तपेश्वर और बबीता की...।
लापता पत्नी को तलाशने निकले तपेश्वर सिंह ने 9 महीने तक भूखा-प्यासा भटकने के बाद आखिरकार अपनी पत्नी को ढूंढ़ लिया।
वो जब उसकी तलाश में निकला था, तो किसी ने उसका साथ नहीं दिया। ना पुलिस ने और ना प्रशासन ने।
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वो जब दर-दर भटक रहा था तो किसी ने उसे पागल कहकर उसकर मजाक बनाया तो किसी ने सिर्फ हमदर्दी दिखाकर उसे टाल दिया।
तपेश्वर ने हिम्मत नहीं हारी। महज एक साइकिल पर अपनी पत्नी के पोस्टर लगाकर वो गली-गली और सड़क-सड़क उसे बस ढूंढ़ता रहा। जहां हाथ-पैर जवाब दे जाते, वहीं थककर सो जाता।
इसे तपेश्वर की मोहब्बत का असर कहें या उसकी ना टूटने वाली हिम्मत, जिस पत्नी को उसने मेरठ में खोया था, वो पत्नी (बबीता) उसे बदहवाश हालत में उत्तराखंड के हलद्वानी में मिली, और दोनों फिर से एक हो गए।
मेरठ से शुरू हुई थी कहानी
मामला करीब 9 महीने पुराना है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले तपेश्वर सिंह यूपी के मेरठ में मजदूरी कर अपना गुजर-बसर करते थे। माता-पिता की मौत हो चुकी थी और सगे-संबंधियों के नाम पर कोई था नहीं।
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करीब 3 साल पहले तपेश्वर को यूपी के ब्रजघाट में ही बबीता एक धर्मशाला में मिली। पूछने पर पता चला कि बबीता को उसके परिजन छोड़कर चले गए हैं। तपेश्वर को ना जाने क्या सूझा और वो बबीता से शादी कर उसे घर ले आए।
नहीं टूटी तपेश्वर की हिम्मत
लोगों ने कहा कि बबीता की दिमागी हालत ठीक नहीं है लेकिन तपेश्वर की मोहब्बत में कोई कमी नहीं आई। और एक दिन जब तपेश्वर काम से घर लौटे तो बबीता घर पर नहीं थी। लोगों ने उसे बताया कि मोहल्ले का ही एक दबंग बबीता को बहला-फुसलाकर ले गया है।
तपेश्वर ने इसकी शिकायत पुलिस में की, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने बड़े अधिकारियों के भी चक्कर काटे लेकिर हर बार मायूसी ही हाथ लगी। इसके बाद तपेश्वर ने खुद ही बबीता को ढूंढ़ने की सोच ली।
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तपेश्वर ने अपनी साइकिल उठाई और इसके हैंडव व पीछे की सीट पर दो पोस्टर लगाए। इनमें बबीता की तस्वीर के साथ लिखा था, 'गुमशुदा की तलाश', और तपेश्वर निकल पड़े अपनी पत्नी की तलाश में।
और आखिरकार हल्द्वानी में मिली बबीता
तपेश्वर की जेब में जितने पैसे थे, उन्हीं पैसों से जब तक काम चला, वो चलाते रहे। कुछ लोगों ने खाना-पानी देकर मदद भी की। तपेश्वर घंटो साइकिल चलाते और लोगों से बबीता के बारे में पूछते।
पत्नी की तलाश में 9 महीने तक भटकने के बाद रविवार को ब्रजघाट में ही एक आदमी ने तपेश्वर को बताया कि उनसे बबीता जैसी एक महिला को हल्द्वानी में भीख मांगते हुए देखा है।
बस फिर क्या था, तपेश्वर साइकिल से ही हल्द्वानी पहुंचे और दिन भर सड़कों पर भटकने के बाद आखिरकार सड़क किनारे, चिथड़े में लिपटी हुई उन्हें उनकी पत्नी बबीता मिल गई।
'तपेश्वर को नहीं हुआ अपनी आंखों पर भरोसा'
तपेश्वर को पहले तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने अपनी आंखों को हाथों से रगड़ा। खुद को ये एहसास दिलाया कि ये उनकी बबीता ही है और फिर उसे अपने साथ घर लेकर आए। तपेश्वर इस समय बेहद खुश हैं। वो कहते हैं कि अब कुछ नहीं चाहिए।
तपेश्वर बताते हैं, 'मैं जानता हूं कि बबीता की दिमागी हालत कुछ सही नहीं है लेकिन अगर मैंने उसे ऐसे ही छोड़ दिया तो लोग उसका फायदा उठाएंगे। मैं बस ये जानता हूं कि वो मेरे साथ सुरक्षित है।'