क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

2019 लोकसभा चुनाव में अगड़ी जाति के वोट निर्णायकः नज़रिया

अक्सर हमारी चर्चा का मुद्दा होता है कि राजनीतिक गठबंधन का ज़मीनी समीकरणों पर कितना असर पड़ेगा या फिर इसका कोई असर नहीं होगा?

हम इस बारे में भी चर्चा करते हैं कि क्या चुनावों में पूरा खेल समीकरणों का है या फिर चुनावों में सफलता के लिए वोटरों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना भी ज़रूरी है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अखिलेश यादव, मायावती
SP, BSP @Facebook
अखिलेश यादव, मायावती

2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र हाल में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल के साथ हाथ मिला कर नया गठबंधन तैयार कर लिया है.

इसी के साथ यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या ये राजनीतिक गठबंधन पिछड़े वर्ग, दलित और मुसलमानों के सामने एक सामाजिक दोस्ताने के रूप में दिखेगा.

अगर ये पार्टियां इस तरह का गठबंधन सफलतापूर्वक कर सकती हैं तो क्या वो बीजेपी के राजनीतिक गुणाभाग को चुनौती दे पाएंगी ख़ासकर तब जबकि वो अपनी चुनावी सफलता के लिए अगड़ी जाति के वोटबैंक पर निर्भर करती है.

इस नए गठबंधन के बनने के बाद इस तरह की चर्चा आम होने लगी है कि 2019 के चुनावों में दलित, जाट, मुसलमान और यादव वोटबैंकों की आख़िर कितनी अहमियत होगी.

इस चर्चा के बीच हम अक्सर ये भूल जाने की ग़लती कर बैठते हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सफलता के लिए अगड़ी जाति यानी सवर्णों का वोटबैंक बेहद महत्वपूर्ण है.

कई आकलनों में ये बात सामने आई है कि उत्तर प्रदेश में कुल वोटर्स का 25 से 28 फ़ीसदी हिस्सा अगड़ी जातियों का है जिसमें ब्राह्मणों की संख्या सबसे अधिक है.

संख्याबल अधिक होने के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के ज़िलों जैसे कुशीनगर, गोरखपुर, संत कबीर नगर, भदोही, वाराणसी, आंबेडकर नगर, सुल्तानपुर और खीरी की राजनीति में ब्राहमणों का प्रभाव है.

पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजपूतों का भी काफ़ी महत्व है.

अजमेर शरीफ में हेमवती नन्दन बहुगुणा
HNBAHUGUNA.ORG
अजमेर शरीफ में हेमवती नन्दन बहुगुणा

वोटबैंक की राजनीति

लंबे वक्त तक प्रदेश की सत्ता पर काबिज़ रहने वाली कांग्रेस भी अपनी चुनावी सफलता के लिए अगड़ी जाति के वोटबैंक के समर्थन पर निर्भर करती थी.

कांग्रेस के बाद राज्य की सत्ता क्षेत्रीय पार्टियों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के हाथों में रही. साथ ही यहां वक्त के साथ बीजेपी का भी उभार हुआ. फिलहाल प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की ही सरकार है.

और उनकी चुनावी सफलता काफी हद तक अगड़ी जाति के वोटबैंक के समर्थन पर निर्भर है.

इससे पहले मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर साल 1991 और 1993 में बीजेपी उत्तर प्रदेश में सत्ता का स्वाद चख चुकी है.

साल 1996 में बीजेपी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाया. इसके बाद मायावती के गठबंधन से बाहर जाने पर बीजेपी नरेश अग्रवाल और जगदंबिका पाल के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनी.



मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव
SP @Facebook
मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव

बीजेपी के पक्ष में अगड़ी जाति का वोट बढ़ा?

बीते कई चुनावों के दौरान सीएसडीएस ने जो सर्वे किए हैं उनके अनुसार लोकसभा चुनावों या विधानसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा हो या बुरा, प्रदेश में 50 फ़ीसदी से अधिक अगड़ी जाति के वोट पार्टी के खाते में गए हैं.

साल 1996 और 1998 के लोकसभा चुनावों में यानी 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में अगड़ी जाति के 54 फ़ीसदी वोट बीजेपी को मिले. वहीं 1999 के लोकसभा चुनावों में ये मत प्रतिशत बढ़ कर 63 फ़ीसदी हो गया.

2004 और 2009 के लोसकभा चुनावों में बीजेपी को अगड़ी जाति के 52 फ़ीसदी वोट मिले जबकि 2014 के चुनावों में मत प्रतिशत का ये आंकड़ा बढ़ तक 60 फ़ीसदी तक पहुंचा.

साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली सफलता का एक बड़ा कारण अगड़ी जति के वोट हैं क्योंकि इस चुनाव में इस वोटबैंक का 51 फ़ीसदी हिस्सा बीजेपी के साथ था.

ये जानना भी बेहद दिलचस्प है कि विधानसभा चुनावों में विभिन्न पार्टियों के बीच मतों का बंटना अधिक होता है और इस कारण अगड़ी जाति के 51 फ़ीसदी वोट का बीजेपी के खाते में जाना बेहद अहम माना जाता है.

योगी आदित्यनाथ
MYogiAdityanath @Facebook
योगी आदित्यनाथ

जाति आधारित वोट क्यों अहम?

ये आंकड़े हमें दो बातों के बरे में बताते हैं - पहला ये कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जाति के आधार पर पड़ने वाले वोट अहम हैं और दूसरा ये कि अगड़ी जाति का वोटबैंक बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

अगड़ी जाति के अधिक वोट बीजेपी को साल 1999 और 2014 के चुनावों में मिले जब पार्टी के पास प्रधानमंत्री के पद पर जाना माना नाम था या फिर यूं कहें कि प्रधानमंत्री पद के लिए ये एक बड़ा नाम था.

साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे.

इन तथ्यों के देखते हुए ये कहा जा सकता है कि बीजेपी को 2019 के चुनावों में जीत हासिल करने के लिए प्रदेश की अगड़ी जाति के वोटों की बहुत आवश्यकता है.

लेकिन प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन हो सकता है और इसकी भी अपार संभावनाएं हैं कि इसके बाद यादव, मुसलमान और दलितों के वोटबैंकों भी सामाजिक तौर पर और नज़दीक आ जाएं.

इसका मतलब ये होगा कि अपने सीमित वोटबैंक पर बीजेपी की निर्भरता और अधिक बढ़ जाएगी.



हिंदु संगठनों की धर्म सभा
Reuters
हिंदु संगठनों की धर्म सभा

क्या करने की कोशिशें करेगी बीजेपी

ज़मीन पर इस सामाजिक गठजोड़ को नाकाम करने के लिए ये संभव है कि बीते चुनावों की तुलना में बीजेपी प्रदेश की अगड़ी जाति के वोटों का और अधिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश करे.

काफी कुछ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों पर निर्भर करेगा.

इस बात की भी अधिक संभावनाएं हैं कि विपक्ष के इस गठबंधन को अवसरवादी करार देते हुए अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी प्रदेश में हवा का रुख़ बीजेपी के पक्ष में कर सकेगी.

अमित शाह और नरेंद्र मोदी
AFP/Getty Images
अमित शाह और नरेंद्र मोदी

ज़मीनी समीकरण

अक्सर हमारी चर्चा का मुद्दा होता है कि राजनीतिक गठबंधन का ज़मीनी समीकरणों पर कितना असर पड़ेगा या फिर इसका कोई असर नहीं होगा?

हम इस बारे में भी चर्चा करते हैं कि क्या चुनावों में पूरा खेल समीकरणों का है या फिर चुनावों में सफलता के लिए वोटरों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना भी ज़रूरी है.

लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में इस बात की पूरी संभावना है कि ज़मीनी समीकरण ही वोटर का मूड भी तय करें.

क्या वाकई आगामी चुनावों में ऐसा होगा, या फिर इस बार सिलसिला बदलेगा. ये देखने के लिए हमें फिलहाल चुनावों का इंतज़ार करना होगा.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Advani caste vote in 2019 Lok Sabha polls Nazeeria
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X