भारत में कोरोना की पहली लहर की बजाय दूसरी में गर्भपात के केस 3 गुना बढ़े- ICMR ने डेल्टा वेरिएंट को बताया वजह
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के हालिया अध्ययन में सामने आया है कि भारत में कोरोना की दूसर लहर के दौरान गर्भपात 3 गुना बढ़ा।
नई दिल्ली, 30 सितंबर। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के हालिया अध्ययन में सामने आया है कि भारत में कोरोना की दूसर लहर के दौरान गर्भपात 3 गुना बढ़ा। आईसीएमआर ने कहा कि गर्भस्थ शिशुओं की मौत का कारण कोरोना का डेल्टा वेरिएंट हो सकता है। आईसीएमआर ने अध्ययन में गर्भपात के लिए 'सहज गर्भपात' शब्द का उपयोग किया है, जिसका मतलब है कि गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले गर्भपात हो जाना, या 500 ग्राम से कम वजन वाले भ्रूण का जन्म।
मातृ मृत्यु दर में भी हुई वृद्धि
इससे पहले आईसीएमआर की नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ नामक अध्ययन में सामने आया था कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान पहली लहर की तुलना में मातृ मृत्यु दर बढ़ी है। हालांकि सहज गर्भपात पर दूसरी लहर के प्रभाव को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया था। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ अल्ट्रासाउंड इन ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की आधिकारिक पत्रिका अल्ट्रासाउंड इन ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में सोमवार को प्रकाशित इस अध्ययन अध्ययन में कोरोना पॉजिटिव 1,630 महिलाओं पर अध्ययन हुआ, इन महिलाओं का 1 अप्रैल 2020 से 4 जुलाई 2021 के बीच मुंबई स्थित बी.वाई.एल नायर चैरिटेबल हॉस्पिटल में सहज गर्भपात हुआ था। शोध में सामने आया कि प्रत्येक 1 हजार जन्म पर कोरोना की पहली में हुए 26.7 के मुकाबले दूसरी लहर में गर्भपात की तक 82.6 से ज्यादा थी। शोध के मुताबिक महामारी से पहले अगस्त से जनवरी की अवधि की तुलना में फरवरी और जुलाई के बीच सहज गर्भपात अधिक सामान्य था। बता दें कि 2021 में दूसरी लहर फरवरी और जुलाई के बीच चली, जिससे स्पष्ट है कि 2017-18 में इन्हीं महीनों की तुलना में इस तरह के गर्भपात अधिक रहे।
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डेल्टा वेरिएंट हो सकता है इसकी वजह
शोधकर्ताओं ने इस गर्भपात के पीछे कोरोना के घातक और अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के होने की संभावना जताई। उन्होंने कहा कि SARS-CoV-2 गर्भनाल को संक्रमित कर सकता है और संभवत: इससे भ्रूण के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि कोरोना के दौरान जारी प्रतिबंधों में गर्भवती महिलाओं को उचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और पौष्टिक भोजन मिलने में दिक्कत आई हो। इस तरह के कारक गर्भपात को बढ़ा सकते हैं।